बीजेपी क्या कायम रख पाएगी नंबर 1 का रुतबा?

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 विधानसभा चुनाव के पहले 4 सीटों पर ‘लिटमस टेस्ट’

 बिहार में बदला नंबर गेम

भवेश कुमार

पटना। लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे बड़ा झटका शाहाबाद क्षेत्र में लगने के बाद जो शून्यता आई है, उसे भरने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 जुलाई को पटना आ रहे हैं। हालंकि परोक्ष रूप से वे बीजेपी के प्रदेश विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में बतौर मुख्य वक्ता आ रहे हैं लेकिन अपरोक्ष रूप से लोकसभा चुनाव की समीक्षा के बहाने आगामी विधान सभा चुनाव और चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत का मंत्र देने भी आ रहे हैं।

शाहाबाद प्रदेश भाजपा की प्राथमिकता में है तो इसकी वजह भी है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को शाहाबाद क्षेत्र में जोरदार झटका लगा है। बिहार का चितौड़गढ़ कहा जाने वाला औरंगाबाद के अलावा आरा, बक्सर, काराकाट और सासाराम लोकसभा में हार मिली। कई बार से जीत का परचम लहराने वाले औरगाबाद के सुशील सिंह और आरा के आरके सिंह तो हारे ही यहां तक कि राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को भी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के सूत्रों की माने तो औरंगाबाद,आरा और बक्सर को भाजपा नेताओं ने टेकन फॉर ग्रांटेड मान लिया था।

नंबर गेम के लिए चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण है। एनडीए के रणनीतिकार इसे आगामी विधानसभा चुनाव 2025 का लिटमस टेस्ट मान रहे हैं। ऐसा इसलिए कि जिन चार सीटों पर चुनाव होने वाले हैं उनमें तीन अभी महागठबंधन के पास है।

रामगढ़ विधान सभा से राजद के विधायक सुधाकर सिंह हैं जिन्होंने बसपा के अंबिका सिंह को हराया था। भाजपा के अशोक सिंह तीसरे नंबर पर थे। अब सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बने इसलिए यहां चुनाव होना है। बेला विधान सभा से राजद के सुरेंद्र यादव विधायक थे। जहानाबाद लोकसभा से सांसद बनने के बाद यहां उपचुनाव होना है। तब बेला से अभय कुशवाहा जदयू के उम्मीदवार थे जिन्हें 23963 मतों से हार झेलना पड़ा था।

तराई विधान सभा से माले के सुदामा प्रसाद विधायक थे। इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र पांडे को परास्त किया। भाजपा उम्मीदवार कौशल विद्यार्थी तीसरे नंबर पर थे। उप चुनाव होने वाले विधानसभा में मात्र इमामगंज ही एनडीए के पास है। यहां से हम के संस्थापक सदस्य जीतन राम मांझी विधायक थे। गया लोकसभा से जीतन राम मांझी के विजय के बाद इमामगंज भी उप चुनाव होना है।

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का बिहार आगमन इन दिनों चर्चा में है। वजह यह बताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का आधार वोट राजपूत मत बिखर गया था। काराकाट लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह को हासिल राजपूत मत एक बड़ा कारण बना जो कई लोकसभा को प्रभावित कर गया।

इसका प्रभाव बक्सर और आरा पर भी पड़ा और भाजपा को शाहाबाद में शून्य पर आउट होना पड़ा। इस उप चुनाव में 2 विधान सभा क्षेत्र शाहाबाद में पड़ता है। इनमें तरारी और और रामगढ़ विधानसभाव भाजपा के लिए महत्त्वपूर्ण है। गत विधान सभा चुनाव 2020 में भाजपा यहां तीसरे नंबर पर थी।

चुनाव के दौरान भाजपा ने राजपूतों की नाराजगी झेली थी। उस पर बिहार से केंद्र सरकार में राजपूत मंत्री का नही बनना भी आक्रोश का कारण बना। फिलहाल भाजपा के वरीय नेता राजनाथ सिंह का बिहार यात्रा डैमेज कंट्रोल के तहत लाया गया है। ये राजपूत मतों में बिखराव के कारण और इसके निदान के लिए भाजपा के सक्रिय राजपूत नेताओं से भी मिलेंगे।
बहरहाल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बिहार आगमन पर ग्रहण लग सकता है। पीठ में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया। प्रारंभिक जांच के बाद यह बताया जा रहा है कि राजनाथ सिंह की स्थिति खतरे से बाहर है। सुबह पीठ में दर्द की शिकायत की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्री को अस्पताल ले जाया गया। अभी उनकी स्थिति स्थिर है। एम्स के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में राजनाथ सिंह का इलाज जारी है।

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