शिव सेना विवाद का फायदा उठाना चाहते हैं एनसीपी प्रमुख
शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न के अधिकार का ममला अब सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर अभी स्टे लगाने से इनकार कर दिया है लेकिन वह इस मसले पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। शिव सेना नाम और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को दिये जाने पर एनसीपी के चीफ शरद पवार ने चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है। इससे पहले शरद पवार ने विवाद में न पड़ते हुए उद्धव ठाकरे को आगे बढ़ने की सलाह दी थी। अब एनसीपी चीफ ने कहा मैंने कभी नहीं देखा कि चुनाव आयोग किसी एक पार्टी का कंट्रोल पूरी तरह से छीन ले। पूर्व में ऐसे मामले आए हैं जब सियासी दलों के दो फाड़ हो गये हैं। हमने कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) को देखा है। इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) नाम और हाथ चुनाव चिह्न के रूप में चुना। जब एनसीपी ने कांग्रेस से अलग रास्ता चुनाव तो हमने नया नाम और घड़ी चुनाव चिह्न चुना। किसी ने भी वास्तविक पार्टी और सिंबल पर क्लेम नहीं किया।
शरद पवार ने आगे कहा कि वर्तमान मामलों में मुद्दा यह है कि कौन फैसले ले रहा है ? क्या यह चुनाव आयोग है या कोई अन्य शक्ति चुनाव आयोग को गाइड कर विशेष निर्णय लेने के लिए बाध्य कर रही है। जब भी शक्ति का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। लोग समय आने पर मुंहतोड़ जवाब देते हैं। जनता उन्हें सबक सिखाएगी।
उद्धव ठाकरे और उनके समर्थकों को संदेश देते हुए शरद पवार ने मीडिया से कहा, मैंने अहमदनगर, सांगली और महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में यात्रा की है। लोगों से बातचीत की है। मुझे इस बात का अहसास है कि जो हुआ वह लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है। चुने हुए विधायक और सांसद भले ही ठाकरे से शिंदे गुट में चले गये हों पर प्रतिबद्ध शिवसैनिक 100 प्रतिशत उद्धव ठाकरे के साथ रहेंगे।
क्या है शरद पवार का एजेंडा ?
दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में सबसे बड़े सूरमा माने जाने वाले शरद पवार यूं ही चुनाव आयोग पर ही हमलावर नहीं हैं। सियासी जानकारों की मानें तो शरद पवार अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बरकरार रखना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि शिवसैनिकों के बीच उद्धव ठाकरे को लेकर उपजी सहानुभूति का फायदा उठाया जा सके। वर्तमान समय में शरद पवार इस विवाद का फायदा पिंपरी-चिंचवड में उठाना चाहते हैं, जहां उनकी पार्टी और उद्धव ठाकरे की पार्टी के बीच मतभेद सामने आये हैं। यहां एनसीपी ने नाना काटे को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि उद्ध सेना की पसंद राहुल कलाटे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। अब उद्धव ठाकरे के पक्ष में बोलकर शरद पवार पिंपरी-चिंचवड में शिवसेना के कैडर वोटों का फायदा उठाना चाहते हैं। इसके अलावा एनसीपी चीफ द्वारा फडनवीस के बयान पर दी गई प्रतिक्रिया के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। देवेन्द्र फडनवीस ने कहा था कि शरद पवार को अजीत पवार के बीजेपी के साथ जाने के बारे में पता था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार ने कहा, मैं बस इतना कह सकता हूं कि राष्ट्रपति शासन हटाकर एक अच्छा परिणाम आया था। एक होने के बाद उद्धव ठाकरे के सीएम बनने का रास्ता साफ हुआ।