23 जनवरी भारत के लिए कैलेंडर की सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह इतिहास में लिखा हुआ और दिलों में अंकित एक दिन है, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का इतिहास पराक्रमी सेना के वीर जवानों की कहानी से भरा रहा है । भारत का पराक्रम देख पूरी दुनिया सहम जाती है। ऐसे में सेना के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। पराक्रम दिवस को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म जयंत के रूप में मनाया जाता है। हालांकि पहले उनके जन्म दिवस के मौके पर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जाता था लेकिन भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में इस दिन को खास बनाने का ऐलान करते हुए हर साल पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की।
पराक्रम दिवस मनाकर पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता है और उनके योगदानों को याद करता है। सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी के जंग में उनका ओजस्वी नारा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ने पूरे देश में हर भारतीय के खून में उबाल ला दिया था और आजादी की जंग में एक नई जान फूंक दी थी। भारत माता के इसी वीर सपूत के जन्म दिवस को याद करते हुए हम पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन स्कूल कॉलेज में नेताजी को लेकर नाटक का भी आयोजन किया जाता है। वहीं बच्चों को नेताजी के जीवन और उनके स्पीच के बारे में जानकारी दी जाती है। जिसकी मदद से वह अपने भविष्य की राह आसान बनाते हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। वह एक राजनीतिक पकड़ वाले नेता थें जो देश की आजादी के लिए साहसिक और निर्णायक कदम उठाने में विश्वास रखते थे। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के गठन में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है, जिसने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन भारत के युवाओं के लिए एक आदर्श की तरह है। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़ दिया था और इंग्लैंड से भारत वापस लौट आए थे। भारत में स्वतंत्रता आदोलन की लड़ाई को तेज करने के लिए उन्होंने आजाद हिंद सरकार, आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद बैंक का बनाया था। उन्हें इसमें कई देशों का साथ भी मिला था। आजादी के जंग में उनकी इसी जज्बे को याद करते हुए हर साल पराक्रम दिवस देश में मनाया जाता है ।