क्यों अखिलेश यादव एक बार में ही टिकट को लेकर फैसला नहीं कर पा रहे?

0
81
Spread the love

यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव को लेकर इस बार ज्यादा प्रेशर में हैं? क्योंकि पिछले 60 दिनों के अंदर अखिलेश यादव ने अपने 9 उम्मीदवार बदल दिए हैं. जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश चुनाव से घबरा गए हैं, इसलिए उम्मीदवार उतारने से डर रहे हैं.

बतादें कि अखिलेश यादव ने अब तक मुरादाबाद, मेरठ, बिजनौर, बागपत, बदायूं, मिश्रिख, नोएडा, संभल और खजुराहो में प्रत्याशी बदल चुके हैं. मेरठ, नोएडा, मिश्रिख और मुरादाबाद में तो 3-3 बार नाम घोषित किए गए हैं?चर्चा की दूसरी वजह सपा का चुनावी कैंपेन का शुरू न होना है. समाजवादी पार्टी ने अब तक लोकसभा चुनाव को लेकर कैंपेन की शुरुआत नहीं की है. न ही पार्टी की ओर से कोई टाइटल सॉन्ग जारी किया गया है. बड़ी वजह बड़े सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं करना है. सपा ने जौनपुर, कन्नौज जैसी सीटों पर अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं.

अखिलेश बार-बार उम्मीदवार क्यों बदल रहे?

ने उम्मीदवार बदलने का सिलसिला तीसरी लिस्ट से शुरू किया. तीसरी लिस्ट में सपा ने पहले बदायूं से धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर शिवपाल यादव को मैदान में उतारा था. धर्मेंद्र को पार्टी ने उस वक्त आजमगढ़ का प्रभारी बनाया था. इसके बाद सपा ने मेरठ, मुरादाबाद, मिश्रिख, बागपत और बिजनौर जैसी अहम सीटों पर भी उम्मीदवार बदलने का एलान कर दिया. सबसे ज्यादा ड्रामा मेरठ और मुरादाबाद सीट को लेकर देखने को मिला. मुरादाबाद में सपा ने पहले एसटी हसन को उम्मीदवार बनाया, लेकिन आजम खान के दबाव में उनका टिकट काटकर रुची वीरा को टिकट देने का ऐलान कर दिया. हालांकि, अखिलेश यादव ने फिर से रुचि वीरा के बदले एसटी हसन को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की, लेकिन आखिर में रुचि वीरा टिकट लेने में कामयाब रहीं.

एक बार में ही टिकट को लेकर फैसला क्यों नहीं कर पा रहे अखिलेश ?

इसी तरह मेरठ में पहले पार्टी ने भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद अतुल प्रधान को टिकट दिया गया. हालांकि, आखिर वक्त में योगेश वर्मा अपनी पत्नी सुनीता के लिए सिंबल लेने में सफल रहे.कहा जा रहा है कि कम से कम 2 सीटों पर अभी और उम्मीदवार बदला जा सकता है. इनमें बदायूं जैसी हाई-प्रोफाइल सीट शामिल हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर अखिलेश एक बार में ही टिकट को लेकर फैसला क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

घर की लड़ाई भी नहीं संभाल पा रहे अखिलेश

सपा की अंदरुनी झगड़ा फिर से बाहर आ गया है. रामपुर और मुरादाबाद में तो पार्टी की आंतरिक लड़ाई सोशल मीडिया पर भी दिखने लगी. मुरादाबाद से जब एसटी हसन का टिकट कटा तो राज्यसभा सांसद जावेद अली ने एक पोस्ट सोशल मीडिया पर कर दिया.अली ने अपने एक्स पर लिखा- नवाबों के दौर में भी मुरादाबाद रामपुर का गुलाम नहीं रहा.अली का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इसकी 2 वजहें थी. पहला अली अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते हैं और दूसरा आजम खान के खिलाफ अली की यह खुली बगावत थी.दूसरी तरफ आजम गुट के असीम राजा ने भी शक्ति दिखाने के लिए रामपुर से पर्चा दाखिल कर दिया. पूरे विवाद में अखिलेश की कार्यशैली पर खूब सवाल उठे.

यूपी की 62 और एमपी की एक सीटों पर चुनाव लड़ रही है सपा

साथ ही आपको बतादें कि समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल है और समझौते के तहत पार्टी उत्तर प्रदेश की 62 और मध्य प्रदेश की एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. यूपी में समझौते के तहत सपा ने 17 सीटें कांग्रेस और एक सीट तृणमूल को दी है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here