बिहार में क्यों लगातार एक के बाद गिर रहे पुल? जांच के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय कमेटी

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दीपक कुमार तिवारी

पटना। बिहार सरकार ने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से सामने आई पुल ढहने की विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। बिहार में पिछले 13 दिनों के भीतर पुल ढहने की छह घटनाएं सामने आईं। ताजा घटना रविवार को किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड के खौसी डांगी गांव की है, जहां वर्ष 2009-10 में क्षेत्र के तत्कालीन लोकसभा सदस्य की सांसद निधि से बूंद नदी पर बनाया गया छोटा पुल ढह गया। बिहार में हाल के दिनों में ढहे अधिकांश पुल (निर्माणाधीन सहित) का निर्माण राज्य सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग (RWD) द्वारा किया गया था या कराया जा रहा है।
बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, ‘‘बिहार के विभिन्न हिस्सों में पुल ढहने की घटनाओं की जांच के लिए मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति पुल ढहने के कारणों का पता लगाएगी और आवश्यक कदम उठाने के उपाय भी सुझाएगी।’’ समिति, विशेष रूप से RWD द्वारा बनाए जा रहे या बनाए जा चुके पुलों से संबंधित घटनाओं की जांच करेगी और दो से तीन दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
अशोक चौधरी ने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट से पता चला है कि कुछ पुल चालू नहीं थे और उनमें से कुछ को मरम्मत की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, 18 जून को बिहार के अररिया जिले के परारिया गांव में बकरा नदी पर नवनिर्मित 182 मीटर लंबे पुल का एक हिस्सा ढह गया। पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत RWD द्वारा किया गया था, लेकिन कुछ निर्माण बाकी रहने के चलते इसे जनता के लिए नहीं खोला गया था।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन पुल का गिरना एक गंभीर मामला है और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि समिति को पुलों की नींव और संरचना के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता सहित प्रत्येक विवरण की जांच करने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि बिहार में पिछले हफ्ते मधुबनी, अररिया, सिवान और पूर्वी चंपारण जिलों से पुल ढहने की घटनाएं सामने आई थीं। किशनगंज जिले में पिछले छह दिनों में दो पुल ढह गये।

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