चरण सिंह
जैसा नाम वैसी ही जरूरत और वैसे ही अहमियत। जी हां इन लोकसभा चुनाव में बिहार का चिराग इसी तरह की भूमिका में है। छह सीटों पर लड़ने को आमादा चिराग पासवान अपने को मोदी का हनुमान तो बताते हैं पर उनसे दूरी बनाए हुए हैं। दूरी भी ऐसी कि मोदी बिहार में तीन रैलियां कर चुके हैं पर चिराग पासवान प्रधानमंत्री की एक भी रैली में नहीं पहुंचे। इन सबके बावजूद एनडीए किसी भी हालत में चिराग पासवान को अपने पाले में लेना चाहते हैं। यही स्थिति इंडिया गठबंधन की है। इंडिया गठबंधन चिराग पासवान को किसी भी कीमत में गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं।
बाकायदा चिराग पासवान को छह सीटों का ऑफर दे दिया है। मतलब जैसी जरूरत बिहार में नीतीश कुमार की थी, उससे कम चिराग पासवान की नहीं है। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों चिराग पासवान को अपने साथ लेने के लिए डोरे डाल रही है। हालांकि 2021 में बीजेपी ने चिराग पासवान से उनके पिता का 12 जनपथ बंगला खाली करा लिया था। उसके बाद जब बीजेपी ने चिराग पासवान के उन चाचा पशुपति पारस केंद्रीय राज्य मंत्री बना दिया, जिन्होंने लोजपा में तोड़ कर अपनी पार्टी बना ली और लोजपा के पांच सांसद कब्जा रखे हैं।
ऐसे में जब 16 सांसद जदयू के हैं और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा 4 लोकसभा सीट मांग रहे हैं। ऐसे में खबरें यह भी आ रही हैं कि जदयू को 12 सीटें लड़ने के लिए दी जा सकती हैं। ऐसे ही खुद बीजेपी भी कुछ सीटें कम कर चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को सीटों के मामले में संतुष्ट किया जाएगा। दरअसल कांग्रेस रणनीति बना रही है कि इंडिया गठबंधन की ओर से कोई दलित चेहरा प्रधानमंत्री पद के आगे लाया जाए। कांग्रेस मायावती को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाकर दलित न्याय का एक बड़ा अभियान छेड़ना चाहती है। बिहार में पासवान वोट बैंक 5.5 प्रतिशत है।
ऐसे में यदि चिराग पासवान इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो बीजेपी और जदयू का खेल बिगाड़ सकते हैं। यही वजह है कि इंडिया गठबंधन की ओर से चिराग पासवान को बिहार से छह और उत्तर प्रदेश से दो सीटों का ऑफर मिला है। हालांकि नीतीश कुमार के दिल्ली आने के बाद जदयू और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय माना जा रहा है। चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को सीटें देने के लिए जदयू को 12 सीटें देने की बात की ज रही है तो बीजेपी के भी दो तीन सीटें कम करने की बात सामने आ रही है। ऐसे में देखना यह होगा कि चिराग पासवान कितनी सीटों पर मानते हैं। यदि चिराग पासवान सीटों पर न माने तो इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच बराबर की टक्कर हो जाएगी।
दरअसल चिराग पासवान बिहार के समीकरण बदलने की कुव्वत रखते हैं। यह उन्होंने 2020 के चुनाव में भी दिखा दिया था। 135 सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर नीतीश कुमार को 43 सीटों पर समेट कर रख दिया था। ऐसे ही चिराग पासवान यदि इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो एनडीए का खेल जरूर बिगाड़ सकते हैं।