जब गांधी जी ने अंग्रेजी अदालत में मना कर दिया था पगड़ी उतारने के लिए !

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अनिल गोस्वामी

हिजाब के मामले में माननीय कर्नाटक हाई कोर्ट का जो फैसला आया, उससे मुझे महात्मा गांधी के जीवन की एक घटना का स्मरण आता है। अफ्रीका की अदालत में जब महात्मा गांधी गुजराती पगड़ी लगाकर जिरह करने गए तो जज ने उनसे पगड़ी उतारने को कहा। गुजराती पगड़ी अदालत की वेश में शामिल नहीं थी।
गांधी जी ने पगड़ी उतारने से मना कर दिया। अदालत ने इस पर आपत्ति की तो महात्मा गांधी अदालत छोड़ कर चले गए। उन्होंने पगड़ी के साथ अदालत में जाने के लिए संघर्ष किया। जब सरकार ने पगड़ी ना पहनने की बाध्यता समाप्त कर दी तो गांधीजी पगड़ी पहन कर अदालत पहुंचे।
अदालत में जाकर गांधी जी ने पगड़ी उतार दी। गांधी जी ने कहा आप जबरदस्ती कोई ऐसा कानून मेरे ऊपर नहीं लाद सकते जो मेरी आस्था के खिलाफ है। लेकिन स्वेच्छा से मैं आपकी हर बात मान सकता हूं। क्योंकि आप मुझे पगड़ी उतारने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं इसलिए मैं स्वेच्छा से पगड़ी उतारता हूं। हमें आशा करनी चाहिए कि राष्ट्रपिता ने जो राह हम भारतीय लोगों को दिखाई है, उसका सम्मान आम आदमी से लेकर माननीय न्यायाधीश तक सभी लोग करेंगे। वे कानून की भाषा की शाब्दिक व्याख्या की जगह उसके मर्म को समझेंगे और राष्ट्र की एकता के लिए हर प्रयास करेंगे। (फेसबुक पोस्ट से : साभार )

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