जब डॉक्टर मनमोहन सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे

0
6
Spread the love

राजकुमार जैन

1969 -71 में डॉ मनमोहन सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर थे। उनकी सादगी, शराफत, तथा विद्वता उस दोर से लेकर दो बार प्रधानमंत्री बनने तक कायम रही। उस समय वे मॉडल टाउन में किराए के मकान में रहते थे, तथा विश्वविद्यालय साइकिल से आते थे। दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स का कॉफी हाउस विद्यार्थी और प्रोफेसरों का अपनी क्लास खत्म हो जाने के बाद बैठकी का अड्डा था। हमारा ‘समाजवादी युवजन सभा’ का ग्रुप उन दिनों लगातार आंदोलन रत रहता था, तथा नारे लगाते हुए डी स्कूल के गेट पर सभा,चक्कर जरूर लगाता था। हमारे साथी जसवीर सिंह, विजय प्रताप, रविंद्र मनचंदा, रमाशंकर सिंह, नानक चंद, विकास देशपांडे इत्यादि अक्सर ‌ वहां के कॉफी हाउस में काफी पीते हुए विचार विमर्श करते थे। इस कारण डॉक्टर मनमोहन सिंह जी से मेरा परिचय हो गया। उनकी महानता से मैं उस दिन सन्न रह गया जब प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अति निकट तथा उनके मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, कमल मुरारका के गौरव ग्रंथ का लोकार्पण करने उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी के घर पर डॉ मनमोहन सिंह आए थे। मैं अपने साथियों रविंद्र मनचंदा (ओएसडी प्रधानमंत्री चंद्रशेखर) डॉ हरीश खन्ना (भूतपूर्व विधायक दिल्ली विधानसभा), तथा अन्य साथियों के साथ जलपान के समय खड़ा हुआ था, तो उन्होंने मेरा नाम लेकर कहा ‘राजकुमार कैसे हो’ आप लोगों के “साउटिंग स्लोगन, (नारेबाजी) भाषण मैंने सुने हैं”। मैं और मेरे साथ खड़े सभी साथी दंग रह गए एक लंबे अंतराल के बाद जिस सहज भाव से उन्होंने पुकारा आज के दौर में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
10 साल प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहने वाले इंसान की चादर पर कोई दाग नहीं लगा। उनकी सादगी देखते ही बनती थी। हमेशा सफेद कुर्ते पजामे, जैकेट तथा सिर पर आसमानी रंग की पगड़ी पहने रखते थे। बड़े से बड़े पद पर रहने के बावजूद अपनी 800 मारुति कार में वह सफर करते थे। दो कमरे का एक फ्लैट उनका घर था। उनकी बेटी उपिनद्रर कौर सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी। उनके और मेरे यूनिवर्सिटी स्टाफ क्वार्टर के बीच में एक कामन दीवार थी। मनमोहन सिंह जी अपनी बेटी के घर मिलने कब आए और गए इसका पता ही नहीं चलता था।
सादगी, शराफत, ईमानदारी, उच्च कोटि के विद्वान के इंतकाल होने से एक महान भारतीय शख्सियत हमारे बीच में से चली गई, मैं अपने श्रद्धा सुमन उनकी याद में अर्पित करता हूं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here