क्या दुनिया को है सन्देश, जलता हुआ बांग्लादेश?

आरक्षण के मुद्दे पर बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया, वहाँ की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। अपने देश भारत में भी इन दिनों जाति को लेकर घमासान मचा हुआ है। बांग्लादेश हिंसा की आग में सुलग रहा है। हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। हजारों लोग सड़कों पर उतरकर सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया है। बांग्लादेश संसद में वाद विवाद संवाद व्यवस्थित नही रहा, बांग्लादेश संसद ने जनता का यक़ीन खो दिया, बांग्लादेश में जो हालात बेकाबू हुए इससे साबित होता देश में जनता से बड़ा कोई नही, कुछ गलत निर्णय देश को सालों साल पीछे धकेल देते । गलत निर्णय कितने भारी पड़ गए बांग्लादेश को।

 

प्रियंका सौरभ

 

किसी देश में तख्तापलट की संभावना आमतौर पर तब बनती है जब देश के तमाम लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ होते हैं या फिर सरकारें तानाशाह बन जाती हैं यानी सरकारों को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं रह जाता, वो अपने मन का ही करती हैं, चाहे उससे जनता का भला हो या नुकसान हो। इसके अलावा तख्तापलट की एक संभावना तब बनती है जब सेना को सरकार से खतरा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में सेना ही सरकार के खिलाफ आ जाती है और तख्तापलट करके खुद सत्ता पर काबिज हो जाती है। आरक्षण के मुद्दे पर बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया, वहाँ की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।अपने देश में भी इन दिनों जाति को लेकर घमासान मचा हुआ है। भारत में भी जाति और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर संसद में ‘राजनीति’ चरम पर है और सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण सम्बन्धी हालिया फैसले ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। बांग्लादेश हिंसा की आग में सुलग रहा है। हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। हजारों लोग सड़कों पर उतरकर सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया है। बांग्लादेश संसद में वाद विवाद संवाद व्यवस्थित नही रहा, बांग्लादेश संसद ने जनता का यक़ीन खो दिया, बांग्लादेश में जो हालात बेकाबू हुए इससे साबित होता देश में जनता से बड़ा कोई नही, कुछ गलत निर्णय देश को सालों साल पीछे धकेल देते । गलत निर्णय कितने भारी पड़ गए बांग्लादेश को।

बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और अपना देश छोड़कर जा चुकी हैं, जिसके बाद यहां की सत्ता अब सेना के हाथों में चली गई है। माना जा रहा है कि अब आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान देश की कमान भी संभालेंगे। किसी देश में तख्तापलट की संभावना आमतौर पर तब बनती है जब देश के तमाम लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ होते हैं या फिर सरकारें तानाशाह बन जाती हैं यानी सरकारों को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं रह जाता, वो अपने मन का ही करती हैं, चाहे उससे जनता का भला हो या नुकसान हो। इसके अलावा तख्तापलट की एक संभावना तब बनती है जब सेना को सरकार से खतरा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में सेना ही सरकार के खिलाफ आ जाती है और तख्तापलट करके खुद सत्ता पर काबिज हो जाती है। पाकिस्तान में भी आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने ऐसा ही किया था। उन्होंने नवाज शरीफ को सत्ता से हटाकर खुद सत्ता पर काबिज हो गए थे। आंकड़ों के अनुसार 1950 से अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 400 से भी अधिक बार तख्तापलट हो चुका है। इस मामले में दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया टॉप पर है। यहां अब तक 20 से भी अधिक बार तख्तापलट हो चुका है। इसके अलावा इराक में 10 से भी अधिक बार और पाकिस्तान में 4 बार तख्तापलट हो चुका है। वहीं, अफ्रीकी देशों में भी 10 से अधिक बार तख्तापलट हुआ है।

 

बांग्लादेश साल 1971 को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर उभरा। साल 1972 में इसे बतौर देश मान्यता मिली थी। 1972 में तत्कालीन सरकार ने मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था। हालांकि, साल 2018 में सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था। हालांकि, इस साल जून में हाईकोर्ट के फैसले ने इस आरक्षण प्रणाली को खत्म करने के फैसले को गैर कानूनी बताते हुए इसे दोबारा लागू कर दिया था। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बांग्लादेश में व्यापक पैमाने में विरोध प्रदर्श शुरू हो गए। शेख हसीना सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसने हाईकोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल पांच फीसदी नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए आरक्षित होगी। दो फीसदी नौकरियां अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों के लिए आरक्षित होगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई सात अगस्त को होनी थी लेकिन, इससे पहले विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी नौकरियों में एक तिहाई आरक्षण के विरोध में फैसला दिया और आरक्षण की सीमा को घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला सुनाया। मगर छात्र इससे संतुष्ट नहीं हुए और वह इस आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करने की मांग करते रहे। सरकार के सख्त रवैये से उनकी नाराजगी और बढ़ती गई।

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की बड़ी चर्चा होती है और वह दुनिया की सबसे तेजी से प्रगति कर रही अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है। शेख हसीना के 15 वर्ष के शासनकाल में बांग्लादेश की तस्वीर बहुत बदली है।मगर बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति का लाभ सबको नहीं मिल रहा जिससे वहां असमानता बढ़ रही है। एक अनुमान है कि वहां लगभग 1।80 करोड़ युवाओं के पास नौकरियां नहीं हैं। यूनिवर्सिटी से पढ़े छात्रों में बेरोजगारी की दर और भी ज्यादा है।बांग्लादेश टेक्स्टाइल क्षेत्र में एक बड़ा नाम है और वहां बने रेडिमेड कपड़े सारी दुनिया में निर्यात होते हैं। इस उद्योग में लगभग 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। मगर इन नौकरियों में कॉलेजों के पढ़े-लिखे छात्रों के लिए संभावनाएं बहुत कम हैं। इन्हीं वजहों से बांग्लादेश में असंतोष बढ़ता जा रहा था और यही वजह है कि छात्रों का आरक्षण विरोधी आंदोलन सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया और शेख हसीना की सत्ता गिर गई।

(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

  • Related Posts

    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    चरण सिंह  वक्फ संशोधन कानून बनने के बाद देशभर में विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध प्रदर्शन हो रहा है। चाहे बिहार हो, महाराष्ट्र हो, प. बंगाल हो या फिर दिल्ली…

    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    शिक्षा या शिकारी जाल? पढ़ी-लिखी लड़कियों को क्यों नहीं सिखा पाए हम सुरक्षित होना? अजमेर की छात्राएं पढ़ी-लिखी थीं, लेकिन वे सामाजिक चुप्पियों और डिजिटल खतरों से अनजान थीं। हमें…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

     हरियाणा के पत्रकारों की समस्याओं का कराया जाएगा समाधान : राज्यपाल

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 5 views
     हरियाणा के पत्रकारों की समस्याओं का कराया जाएगा समाधान : राज्यपाल

    पुलिस की ड्रेस में आए थे आतंकी 

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    पुलिस की ड्रेस में आए थे आतंकी 

    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    कांग्रेस भुनाएगी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे आंदोलन को ?

    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 7 views
    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 11 views
    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस