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पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव नामांकन के पाचंवे दिन भी भारी हिंसा देखने को मिला.राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद स्तिथि नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस बल की सहायता लेनी पड़ी. बंगाल के 24 परगना और बाकुंड़ा जिले में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन होना था. नामांकन के दौरान कोलकाता से तकरीबन 30 किलोमीटीर दूर भांगर इलाके में तृणमूल कांग्रेस और फ्रंट इंडियन सेक्यूलर के बीच झड़प हो गई. हिंसा उग्र होते ही दो गुटों के बीच पत्थरबाजी भी शुरू हो गई. वहीं नामांकन के पहले दिन से ही बंगाल में तनाव का माहौल देखने को मिल रहा था. इससे पहले राज्य के अन्य इलाकों से भी हिंसा की खबर सामने आई थी.
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के सिलसिले में नामांकन का दौरान टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता के बीच झड़प हो उठी. राज्य के बाकुंड़ा और दक्षिण परगना जिले में टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता आपस में भीड़ गए., जिसके बाद स्तिथि काबू करने के लिए पुलिस बल को लाठीचार्ज करनी पड़ी. इस पूरे मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष द्वारा एक दूसरे पर नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया गया है. वहीं पुलिस की माने तो इस हिंसा में दोनो पक्षों के कार्यकर्ता के घायल होने की घबर सामने आई है.
West Bengal Panchayat Election: किस-किस जगह भड़की हिंसा
बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन का दौर चल रहा है..ऐसे में राज्य के कई जिलों से हिंसा की खबरें सामने आ रही है.यह हिंसा ममता की पार्टी सहित विपक्ष में बैठे फ्रंट इंडियन सेक्यूलर और भाजपा के बीच हुई है. हिंसा के बाद तमाम राजनैतिक पार्टी द्वारा एक दूसरे पर नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया गया है. आपको बता दें कि ये हिंसा मुर्सिदाबाद, वीरभूम,पूर्वी मिदनापुर, पूर्वी बुर्द्वान, कूचबिहार और 24 परगना में हुई है. वहीं नामांकन के अखिरी दिन हिंसा में कई लोगों की मृत्यु की खबरें भी सामने आई है. इसके अलावा सीपीएम समेत टीएमसी और आईएसएफ नेता के मरने की बाताई जा रही है.
मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ली एक्शन
इस पूरे मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक्शन लेते हुए राज्य में हो रहे ग्राम चुनाव के मद्देनजर केन्द्रीय बल की तैनाती कर दी है, साथ ही कोर्ट ने नामांकन भरने के तय सीमा को बढ़ाने वाली याचिका को भी खारिज कर दी है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातें
वहीं इस बीच बंगाल सरकार और राज्य की चुनाव आयोग को, सुप्रीम कोर्ट से गहरा झटका लगा है.ममता सरकार सहित राज्य की चुनाव आयोग कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने शीर्ष कोर्ट पहुंची थी, जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई. साथ ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की. जस्टिस बीवी नागरत्ना व जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए उसमें दखल देने से इन्कार कर दिया.
मामले पर क्या है विपक्षी दल का कहना
कलकत्ता में नामांकन दायर करने के दौरान राजनैतिक पार्टी के बीच हो रही हिंसा पर विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्हें चुनाव के लिए हो रहे नामांकन करने से रोका जा रहा है. ISF नेता और भंगार के विधायक नौशाद सिद्धकी का कहना है कि टीएमसी के गुंडे उन्हें नामांकन करने से लगातार रोकने का प्रयास कर रहे है, वहीं टीएमसी ने आईएसएफ के इन आरोपों को सीड़े से खारिज कर दी.टीएमसी राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि आईएसएफ द्वारा इलाके में हिंसा फैलाने की कोशिश की जा रही थी.
पूर्व पंचायत चुनाव में क्या था माहौल
इससे पहले 2018 के बंगाल पंचायत चुनाव में टीएमसी 95 प्रतिशत सीटों पर बाजी मारी थी. इस बीच विपक्षों द्वारा ममता सरकार पर एकबार फिर नामांकन में अर्चन डालने का आरोप भी लगाया गया था. वहीं बंगाल में टीएमसी के सत्ता में आने के बाद ऐसी स्तिथि दूसरी बार उत्पन हुई है, जब पंचायत चुनाव में केन्द्रीय बल की तैनाती करनी पड़ी है. इससे पहले 2013 के पंचायत चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 20,000 जवानों की तैनाती की गई थी.