Waqf Board : क्या है वक्फ बोर्ड और इसके विवाद?

Waqf Board : इन दिनों वक्फ बोर्ड चर्चा का विषय बना है, तमिलनाडु के त्रिची, कर्नाटक का मैदान पूजा स्थल का विवाद हो या UP के योगी आदित्यनाथ का CBI जांच और सर्वे कराने की मांग करना हो, देशभर में हजारों विवादों में वक्फ का नाम आ ही जाता है। तो चलिए समझते है वक्फ क्या है, कैसे किया जाता है और वक्फ बोर्ड क्या है?

क्या है वक्फ –

वक्फ जो कि एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है ठहरना

अगर कोई भी व्यक्ति जो कि इस्लाम धर्म को मानता है किसी धार्मिक या फिर किसी लोककल्याण काम के लिए अपनी किसी संपत्ति को केवल अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, उसे वक्फ कहते है।

यानी कि फला संपत्ति को ठहरा मान लिया जाता है अब न ही इस संपत्ति को खरीदा या बेचा जा जाएगा इसके मालिक केवल अल्लाह को माना जाएगा और केवल लोगों की भलाई के कामों के लिए इसका इस्तेमाल होगा।

जनवरी 1998 भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि –  ‘एक बार जो संपत्ति वक्फ हो जाती है वो हमेशा वक्फ ही रहती है’

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वक्फ बोर्ड (Waqf Board) –

अब संपत्ति तो दान कर दी गई, लेकिन इस संपत्ति की देखरेख और कानूनी अधिकार के मामलों को सुलझाने के लिए एक संस्था का निर्माण हुआ इस संस्था को ही वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के नाम से हम जानते हैं। इसका मतलब भारत भर में जितनी भी मुस्लिमों की ओर से दान की गई संपत्ति यानी वक्फ और इसके अलावा कब्रिस्तान, मस्जिदें है इन सभी का रखरखाव वक्फ बोर्ड ही करता है।

लेकिन ध्यान रहें कि वक्फ बोर्ड के पास भी इनका मालिकाना हक नहीं होता है। इनका मालिक अल्लाह को ही माना जाता है। वक्फ बोर्ड इनके कानूनी पेंच सुलझाने और देखरेख का काम करता है।

कब बना वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ?

वक्फ बोर्ड की स्थापना भारत सरकार ने साल 1964 में की, ताकि वक्फ सें संबंधित जमीनो, कब्रिस्तान, मस्जिदों पर कोई भी निर्णय लेने के लिए ये संस्था केन्द्र सरकार की मदद कर सके उसे सलाह दे सके। साल 1995 और 2013 में इनमें कुछ बदलाव भी हुए। आज भारत में कुल 30 वक्फ बोर्ड है, राज्य और केन्द्र के स्तर पर काम करते हैं।

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BJP के केन्द्रीय मंत्री नकवी, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष

वक्फ की गई संपत्ति का लेखा जोखा उस राज्य के वक्फ बोर्ड करते है इसी कारण जिस भी राज्य में विवाद होता है वहां के वक्फ बोर्ड का नाम कार्यवाही में सामने आ जाता है वहीं राज्य के वक्फ बोर्ड का Guidance केन्द्र का Central Waqf council करता है जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन है। इस Council के अध्यक्ष Union minister होते है, फिलहाल इस पद पर Mukhtar Abbas Naqvi है।

कैसे की जाती है संपत्ति वक्फ ? – 

आप सोच रहें होंगे कि केवल जमीन को ही वक्फ किया जा सकता है तो एसा नही है आप कंपनी के Shares को भी वक्फ कर सकते है, लेकिन इनकी कुछ शर्ते भी होती है। जैसे कि –

  1. दान करने वाली संपत्ति का मालिकाना हक उसी इंसान के पास होना चाहिए यानी कि उस संपत्ति में किसी और का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
  2. दान की जा रहीं संपत्ति बिना किसी शर्ते के दान की जाएगी।
  3. दान करने वाले व्यक्ति की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए और उसकी दिमागिया हालत भी ठीक होनी चाहिए।

अब ज्यादातर वक्फ की गई संपत्ति, “जमीन” के ही रुप में होती है और जहां जमीन वहां विवाद। एक अनुमान के मुताबिक भारत में रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्ड के पास है, भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कुल 8,51,535 वक्फ संपत्तियां है। इतनी अधिक संपत्ति होने के ही कारण अदालतों में वक्फ की संपत्त से संबंधित हजारों मामले लंबित पड़े हुए है।

UP सरकार और वक्फ बोर्ड का मामला –

केन्द्र सरकार भी चाहती है कि इन वक्फ जमीनों का डिजिटलाइजेशन हो ताकि वक्फ की संपत्ति में पारदर्शिता लाई जा सके, आप उत्तर प्रदेश के ताजा मामले से इसे समझ सकते है, UP में वक्फ की संपत्ति पर हजारों करोड़ रुपय के घोटाले करने के आरोप लग रहें है, क्योंकि अधिकत्तर वक्फ की संपत्ति केवल कागजों पर ही दर्ज है।

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UP के मुख्यमंत्री वक्फ की संपत्ति का सर्वे कराने को आतुर

इस कारण इसमें धांधली होने की उम्मीद बढ़ जाती है, इसलिए UP की सरकार ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ CBI जांच बैठाने की बात कही है ताकि वक्फ की संपत्ति का एक सही अनुमान लगाया जा सके क्योंकि UP ही वह राज्य है जहां भारत में सबसे अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।

तमिलनाडु के त्रिची का मामला – 

तमिलनाडु के त्रिची जिले का एक गांव है, जहां राज गोपाल नाम के किसान रहते है, राजगोपाल ने अपनी बेटी की शादी के लिए अपने दोस्त से कर्ज लिया था, जिसे चुकाने के लिए राजगोपाल ने अपनी जमीन बेचने की सोची, ये जमीन उन्हें 40 साल पहले अपने ससुर से मिली थी।

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तमिल नाडु के पूरे गांव की संपत्ति पर तमिल नाडु वक्फ बोर्ड का दावा

राजगोपाल ने जमीन की कीमत भी तय कर ली लेकिन जैसे ही राजगोपाल जमीन की रजिस्ट्री के लिए सरकारी कार्यालय गए, कार्यालय ने बताया कि ये जमीन उनकी है ही नही बल्कि उनकी जमीन कर्नाटक वक्फ बोर्ड की है और इसे बेचने के लिए उन्हें कर्नाटक वक्फ बोर्ड से एक NOC लाना पड़ेगा। न केवल राजगोपाल बल्कि पूरे गांव की जमीन कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आती है जिससे गांव के लोग परेशान हो गए।

क्या वक्फ किसी भी संपत्ति को हथिया सकता है? – 

कई बार सवाल उठता है कि वक्फ की गई संपत्ति वापस नहीं की जा सकती तो इसका जबाव भी जान लीजिए कि वक्फ की गई संपत्ति किसी और के नाम की जा सकती है लेकिन इसके लिए वक्फ बोर्ड के मेंमबर में दो तिहाई का बहुमत होना जरुरी है तभी ऐसा करना संभव है।

उदाहरण के लिए अयोध्या राम मंदिर विवाद में “उत्तरप्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड” के कुछ सदस्य विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ने को तैयार थे लेकिन बहुमत न होने के चलते इस पर मध्यस्थता नही बनी फिर बाद में साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया जिसे हम सभी जानते है।

वक्फ बोर्ड का पक्ष –

वक्फ बोर्ड का कहना है, क्योंकि ये संपत्ति अल्लाह के नाम पर होती है और इसका कोई वारिस नहीं होता इसलिए इन जमीन पर कब्जा करने के लिए बेवजह का विवाद खड़ा किया जाता है। ये बात न्यायसंगत भी है किसी भी जमीन पर कब्जे करने के खिलाफ कार्यवाही होनी ही चाहिए।

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देशभर के वक्फ संपत्ति का मुआयना करने वाली संस्था

लेकिन सवाल ये कि जब देशभर में वक्फ बोर्ड के पास रेल्वे और रक्षा के बाद तीसरी सबसे अधिक जमीन है तो इतने बड़े संसाधन का उपयोग मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए क्यों नहीं किया जा रहा? क्यों नहीं नैतिक बल दिखाते हुए संस्थान ही सामने आ कर सरकार के साथ पारदर्शिता लाने में सहायता करें।

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वक्फ बोर्ड की स्थापना भी इसी मकसद से की गई थी वक्फ का इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए किया जाए जिसमें किसी धर्म या जाति का नाम नहीं बताया गया था। आपको यह खबर कैसी लगी आप हमें कमेंट बाक्स में बता सकते है। अगर आप अपना कोई सुझाव देना चाहते है तो हमसे जुड़ सकते है हमारे मेल की सहायता से।

 

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