विश्वभारती जन सेवा संस्थान ने बीएल वर्मा के राज्य सभा में दिए बयान को तथ्यों से परे करार दिया 

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राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुशवाहा ने कहा- बकवास है उनका जवाब 

विश्वभारती जान सेवा संस्थान के राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुशवाहा ने एक बयान जारी कर राज्य सभा में सहारा के बारे में केंद्रीय राज्य सहकारिता मंत्री बीएल वर्मा के कथन को बकवास करार दिया है। उन्होंने कहा है कि आपके द्वारा 20.12.23 को सदन में पूछे गए आदरणीय सांसद सुशील मोदी और अन्य सांसदों को जवाब दिया है ओ तथ्यों तथ्यों से परे है और सदन समेत पूरे देश के जमाकर्ता को गुमराह करने वाला और भ्रामक भ्रामक है। विश्व भारती जन स्वास्थ्य संस्थान की ओर से आपसे कुछ सवाल रखता हूं और उम्मीद करता हूं की आप इसका सही जवाब देंगे। सवाल .आपने सदन में कहा की पोर्टल पर 3 करोड़ जमाकर्ताओं ने 80 हजार करोड़ का क्लेम किया है,ओर 5000 करोड़ भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्गत हुआ है भुगतान के बाद पैसा घटने के बाद आप न्यालय से और पैसा लेकर आएंगे। सहारा के जमाकर्ता ये जानना चाहते है कि जब 80000 करोड़ क्लेम किया गया है तो यह केवल जमाधन क्लेम है जबकि ब्याज समेत यह राशि लगभग 2 लाख करोड़ होगी और सहरा सेवी रिफंड खाते में लगभग 25 हजार करोड़ ही है ,तो आप स्पष्ट करे की बाकी धन आप कहा से देंगे ? उन्होंने कहा है कि पोर्टल पर क्लेम करने वाले 99% लोगो को क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया है की आप सोसाइटी के मेंबर नही है ,जबकि जमाकर्ताओं के पास ऑर्जिनल बॉन्ड है और उनके बॉन्ड के ऊपर मेंबरशिप आई डी लिखा हुआ है, तो क्या सारे बॉन्ड फर्जी निर्गत किए गए है सहारा इंडिया के तरफ से?सहारा इंडिया ने खुद लिख कर दिया था की जो डाटा सी आर सी को दिया जा रहा है  सही है अगर गलत हो तो सहारा ले ऊपर करवाई कर सकते है ,फिर जब सहारा ने जमाकर्ताओं के मेंबरशिप फॉर्म डाटा सी आर सी को कई वर्षो का  नही दिया तो आपने क्या करवाई सहारा के अधिकारियों पर किया
पोर्टल पर 5 लाख से ऊपर का  क्लेम करने वालो से इनकम टैक्स के कागजात और निवेश किए गए धन का  श्रोत पूछा जा रहा है ,जबकि ये प्रक्रिया भुगतान देने का बाद का है ,ये देखकर क्या लग रहा है कि सरकार नियत भुगतान करवाने का है ,जबकि जमकर्ताओ का धन कई बार री इन्वेस्टमेंट और कई कंपनियों से कन्वर्जन होता हुआ सहकारी समितियां तक आया है और इसमें देश के सभी तबके के लोगों का धन निवेश है तो पीछे 10-12 सालों से लगातार निवेदिता धन को कई बार रे इन्वेस्टमेंट और कन्वर्जन किया गया है तो फिर इतना स्रोत जमा करता कहां से दे पाएंगे भारत सरकार को भुगतान कर उसके ऊपर इनकम टैक्स लेना चाहिए ना की भुगतान नहीं देने के नियत से इस तरह का क्लेम रिजेक्ट करना चाहिए
उन्होंने कहा कि जो जमाकर्ता डेथ कर गए उनके नोमनी का क्लेम क्यू नही लिया जा रहा है। जमाकर्ताओं को एम आई एस का भुगतान वर्षो से लंबित है ,उन्हे प्राथमिकता के आधार पर एम आई एस क्यू नही दिया जा रहा है,जबकि अधिकतर एम ए एस पाने वाले बुजुर्ग लोग है , किसान और गरीब तबके के लोग हैं। जमाकर्ताओं को उनके पसंद के बैंक अकाउंट क्यू नही पोर्टल पर डालने दिया जा रहा है।

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