Uttar Pradesh Politics : आजम खां, शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन का हवाला देकर शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव के अपने रिश्तेदार रामेश्वर यादव के पक्ष में योगी को पत्र लिखने को करार दिया अधूरी लड़ाई, ओपी राजभर ने अखिलेश यादव पर साधा निशाना
Uttar Pradesh Politics : इसे अखिलेश यादव की ढुलमुल रणनीति कहें, भाजपा का खेल कहें या फिर समय का तकाजा कि समाजवादी नेतृत्व लगातार कमजोर साबित हो रहा है। एमएलसी उप चुनाव में सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा कैंसिल होने से जितनी फजीयत सपा नेतृत्व की हुई है उससे अधिक हास्यास्पद स्थिति तब पैदा हो गई जब यह पता चला कि पर्चा कैंसिल होने का कारण उम्र का कम होना है। कीर्ति कोल की उम्र 28 साल है जबकि एमएलसी चुनाव के लिए 30 साल होनी चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि कीर्ति कोल के पर्चे पर प्रस्तावक अखिलेश यादव भी हैं और नामांकन के समय खुद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष नरेश उत्तम और विधायक मनोज पांडेय मौजूद थे। उधर सपा महासचिव Ram Gopal Yadav के अपने रिश्तेदार पूर्व विधायक रामेश्वर यादव व उनके परिजनों के पक्ष में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने और उनके उत्पीड़न रोकने मामले की जांच सीबीआई और एसआईटी से कराने की मांग करने पर शिवपाल यादव और ओपी राजभर ने सवाल उठाया है।
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दरअसल अपने रिश्तेदार रामेश्वर यादव की पैरवी को लेकर रामगोपाल यादव के योगी आदित्यनाथ से मिलने पर शिवपाल यादव आक्रामक हो गये हैं। उन्होंने मामले को मुद्दा बना लिया है। SP Crisis इसे ही कहा जाएगा कि शिवपाल सिंह यादव ने रामगोपाल यादव के न्याय की लड़ाई की टाइमिंग पर सवाल खड़ा कर दिया है। शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव के उस पत्र को सार्वजनिक कर दिया है जिसके माध्यम से उन्होंने रामेश्वर यादव की पैरवी की है। शिवपाल यादव ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर आजम खान, शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन समेत पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के लिए न्याय क्यों नहीं मांगा गया ? उन्होंने इस न्याय की लड़ाई अधूरी बताया। शिवपाल यादव मामले को लेकर इसलिए भी फार्म में आ गये हैं क्योंकि न तो आजम खान, शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन के लिए सपा ने कोई आंदोलन किया और न ही राम गोपाल यादव दवारा किये गये पत्र में भी इन नेताओं के नाम नहीं हैं।
उधर ओमप्रकाश राजभर ने रामगोपाल यादव के मुख्यमंत्री से मुलाकात पर Question from Akhilesh Yadav
करते हुए कहा कि वह बताएं कि भाजपा की आत्मा ओमप्रकाश राजभर से निकलकर Ram Gopal Yadav
में घुस गई है क्या ? अखिलेश अब किस तांत्रिक से अब रामगोपाल का झाड़फूंक कराएंगे ? मामले को लेकर महान दल के नेता केशव देव मार्य ने भी सवाल खड़े किये हैं। अखिलेश यादव के लिए उम्र के मामले में कीर्ति कोल का पर्चा कैंसिल होना ज्यादा हास्यास्पद है क्योंकि इससे पार्टी की लापरवाही और जानकारी का पता चलता है। यह अपने आप में हास्यास्पद है कि कीर्ति कोल के प्रस्तावक के रूप में अखिलेश यादव और उनके 10 विधायकों ने हस्ताक्षर किये हैं।
दरअसल Legislative Assembly के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 साल है, जबकि कीर्ति कोल की उम्र 28 साल है। नामांकन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से लेकर तीन बार के विधायक मनोज पांडेय तक मौजूद थे। यह माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों को यह भी मालूम नहीं है कि एमएलसी चुनाव में कितनी उम्र होनी चाहिए। दरअसल समाजवदी पार्टी आदिवासी समुदाय से कीर्ति कोल को खड़ा कर राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज पर नया कार्ड खेलने की कोशिश की थी। समाजवादी पार्टी यह मानकर चल रही थी कि कोल बिरादरी के जरिये राष्ट्रपति चुनाव में दलित, आदिवासी विरोधी होने के लग रहे आरोपों को खारिज किया जा सकेगा लेकिन पार्टी नेताओं को इस गलती से सारे अरमानों पर पानी फिर गया।
यूपी के अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोड़ ने अखिलेश यादव की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सपा ने अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व देने का जो ढोंग रचा था, उसकी कलई खुल गई है। ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव कोई भी चुनाव गंभीरता से नही लेते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे ही उन्होंने निकाय क्षेत्र के एमएलसी चुनाव में भी किया था। अखिलेश यादव की राजनीति पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा कि Mulayam Singh Yadav के समय में ऐसी घटनाएं नहीं होती थी। दरअसल समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की सियासत में 47 सीटों से बढ़कर 111 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी है। यह Uttar Pradesh Politics ही है कि आज की तारीख में सपा सहयोगी दलों को तो खोती ही जा रही है साथ ही अपनी ढुलमुल रणनीति के चलते उसका वोटबैंक भी खिसकता जा रहा है। यदि पार्टी की यही स्थिति रही है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।