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मोतिहारी में जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में हंगामा

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-पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जमकर चले लात-घूंसे
-मंच से मूकदर्शक बने रहे मंत्री और विधायक

मोतिहारी। पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में रविवार को आयोजित जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में भारी बवाल हो गया। यह कार्यक्रम पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, लेकिन सम्मेलन के दौरान मंच के सामने ही कार्यकर्ताओं के दो गुट आपस में भिड़ गए। यह अप्रत्याशित घटना जेडीयू के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गई है, क्योंकि मंच पर जेडीयू कोटे के दो मंत्री और विधायक मौजूद थे, जो तमाशा देखते रहे लेकिन स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ नजर आए।

आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जेडीयू ने प्रदेशभर में कार्यकर्ता सम्मेलनों का आयोजन शुरू किया है। इसी क्रम में मोतिहारी में यह सम्मेलन आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और स्थानीय नेता उपस्थित थे। मंच पर मौजूद नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं को एकजुटता और पार्टी की नीतियों पर काम करने की नसीहत दी जा रही थी।

इसी दौरान किसी बात को लेकर जिलाध्यक्ष के बेटे और एक अन्य गुट के समर्थकों के बीच विवाद शुरू हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर लात-घूंसे बरसाने शुरू कर दिए। यह सब मंच के सामने होता रहा, जबकि मंच पर बैठे मंत्री और विधायक मूकदर्शक बने रहे।

घटना के दौरान कुछ वरिष्ठ नेताओं ने हस्तक्षेप कर स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ता मानने को तैयार नहीं थे। सम्मेलन का माहौल पूरी तरह से अशांत हो गया, और पुलिस को भी बुलाने की नौबत आ गई। काफी मशक्कत के बाद कार्यकर्ताओं को शांत कराया जा सका।

इस घटना ने पार्टी के भीतर गुटबाजी और अनुशासनहीनता को उजागर कर दिया है। जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कार्यकर्ताओं में एकजुटता लाने के प्रयासों को इससे बड़ा झटका लगा है। खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह घटना पार्टी के लिए चिंताजनक साबित हो सकती है।

घटना के बाद जेडीयू के नेताओं ने इसे “स्थानीय स्तर का विवाद” बताते हुए तूल न देने की अपील की। हालांकि, विपक्ष ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू पर निशाना साधा है।

मोतिहारी में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुई मारपीट ने यह साफ कर दिया है कि जेडीयू को गुटबाजी और अनुशासनहीनता जैसी आंतरिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। यह घटना पार्टी की संगठनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े करती है और आगामी चुनावों से पहले इन चुनौतियों को हल करना पार्टी नेतृत्व के लिए जरूरी हो गया है।