तुलसी है संजीवनी

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तुलसी है संजीवनी, तुलसी रस की खान।
तुलसी पूजन से मिटें, जीवन के व्यवधान।।
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विष्णु प्रिया तुलसी सदा, करती है कल्यान।
तुलसी है वरदायिनी, जीवन का वरदान ।।
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जिस घर में तुलसी पुजे, रहे प्रभू का वास।
रोग पाप सब के मिटे, तन-मन हो उल्लास।।
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तुलसी सालिगराम की, महिमा अजब महान।
हम सब का कर्तव्य है, हो इसका सम्मान।।
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तुलसी माँ की वंदना, करता है संसार।
निरख -निरख रस का तभी, होता है संचार।।
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तुलसी घर की शान है, तुलसी घर की आन।
जिस घर में हों तुलसियाँ, ईश्वर का वरदान।।
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प्राणदायिनी औषधी, तुलसी है अनमोल।
ये माता संजीवनी, इसके पुण्य अतोल।।
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चरणामृत तुलसी बिना, रहता सदा अपूर्ण।
बोकर तुलसी हम करे, उसे आज सम्पूर्ण।।
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तुलसी के इस भेद को, जानें चतुर सुजान।
तुलसी माँ हर भक्त का, करती है कल्यान।।
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सच्चे मन से जो करे, तुलसी पूजन पाठ।
रहते सौरभ है वहां, तन-मन के सब ठाठ।।

 डॉ. सत्यवान सौरभ

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