ऊषा शुक्ला
जो तोकूँ कॉटा बुवै, ताहि बोय तू फूल। तोकूँ फूल के फूल हैं, बाकूँ है तिरशूल ।। जब कोई आपके साथ बुरा करता है तो सबसे पहले मनुष्य उससे बदला लेने के लिए उसका और बुरा करने की सोचने लगता है जबकि यह ग़लत है । ऐसे व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए या हराने के लिए उसका बुरा मत करो । अगर उसका आपने भला कर दिया तो आप भगवान की नज़र में तो अच्छे हो ही गये और उसको आपकी इस प्रतिक्रिया से और लज्जित होना पड़ेगा । कहा गया है जो आपका बुरा करता है आप उसका भला कीजिए । जिसने आपके साथ बुरा किया है उसके साथ और बुरा ही होगा और जब आप उस बुरे व्यक्ति के साथ में भला कर रहे हैं तो आपके साथ ईश्वर और भी भला करेगा। कुछ नहीं रखा है बदला लेने में या दुश्मनी करने में। जो व्यक्ति आपके लिए कांटे बोता है, आप उसके लिए फूल बोइये, आपके आस-पास फूल ही फूल खिलेंगे जबकि वह व्यक्ति काँटों में घिर जाएगा।जो तुम्हारे लिए कांटा बोता है, उसके लिए तुम फूल बोओ अर्थात् जो तुम्हारी बुराई करता है तू उसकी भलाई कर।जो तेरे लिए कांटे बोता है अर्थात जो तुम्हरी राह में कांटे बोता है उसके लिए तुम फूल बोओ। अर्थात जो तुम्हारी प्रगति में बाधक बनता है उसकी प्रगति में तुम साधक (सहायक) बनो। आपके द्वारा बोये गए फूल आपको तो फूल जैसे ही लगेंगे लेकिन उसके लिए वो शर्मिंदगी के कांटे बनेंगे। अर्थात आपके द्वारा उसके लिए किया गया अच्छा कार्य आपको तो सुख ही देगा लेकिन उसके लिए आपके द्वारा की गई अच्छाई उसके हृदय को कचोटेगी कि उसने आपके साथ बुरा क्यों किया।
अगर कोई आपके साथ बेवजह हर समय आपका बुरा ही करता है तो आप परेशान मत हो। ऐसे व्यक्ति को मानसिक बीमार रहते हैं आप उसका भला ही भला करें और इतना भला करें कि समाज देखिए ना देखिए ऊपर वाला ईश्वर जरुर देखेगा। और जब आप भगवान की नजर में आ जाओगे तो धरती की तुच्छ प्राणी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। और भगवान की माया अपरंपार है जब वह देता है तो छप्पर फाड़ के देता है। ईश्वर खुशियों से आपकी झोली भर देगा। देखना उसे समय आप बदला लेने की भावना बिल्कुल भूल जाएंगे। आपने जो कुछ कभी जीवन में सोचा भी नहीं होगा वह भी ईश्वर आपकी कदमों में रख देगा। आपके अंदर क्षमा करने की इतनी कठोर अनमोल हिम्मत है। जबकि आम मानव के अंदर ऐसी वीरता हो ही नहीं सकती। समाज क्या कहेगा इसकी चिंता मत करो। भगवान क्या रहेगा बस इसकी चिंता करोवह तुम्हारा बुरा करते हैं तो करने दो पर तुम्हें उनका भला ही करना चाहिए। किसी के साथ हर समय ईर्ष्या भाव रखना अच्छी बात नहीं है। आजकल का मनुष्य एक अजीब सी स्थिति में जी रहा है। पड़ोसी के पास इतना सुख क्यों है। ऐसा क्या करूं कि उसके घर में कुछ बुरा हो जाए। और अगर नहीं बुरा हो रहा है तो उन पर गलत गलत आरोप लगाओ। सबसे उनके लिए गलत गलत बोल। हर मनुष्य जानता है कि वह धरती पर आज अच्छे कर्म करने के लिए पैदा हुआ है पर फिर भी पता नहीं क्यों वह बेकार के ईर्ष्या भाव में दूसरों का बड़ा करने के लिए अपना जीवन में अपना ही सुख हो रहा है। जो तुम्हारा बड़ा करें तुम उसका भला करो। फिर चमत्कार देखो भगवान आपके साथ छप्पर फाड़ कर चमत्कार ही चमत्कार करता है।जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।वाको है तिरसुल॥ कबीरदास जी कहते हैं कि जो तुम्हारे लिए काँटा बोये (परेशानी या मुसीबत खड़ी करे), तुम उसके लिए भी फूल ही बोना (उसके आचरण के विरोध में भी अपने अच्छे स्वभाव को बनाये रखो), इससे तुमको तो फूल ही फूल मिलेंगे (तुम्हारा स्वभाव और मन-बुद्धि शीतल रहेगी) और उसको त्रिशूल/कांटे मिलेंगे (उसने जो नफरत रुपी बीज तुम्हारे लिए बोये हैं उसका फल उसको ही मिलेगा).. बहुत आसान है कि अपने दुश्मनों को कष्ट पहुँचाना। बहुत मुश्किल है कि ईर्ष्यालु व्यक्ति के साथ परोपकार करना। अब यह मनुष्य को तय करना है कि वह बदले की भावना रखता है या माफ़ करके भला करता है। एक बार भला करके साथ चल कर तो देखिए। असीम आनंद की अनुभूति होती है।जो व्यक्ति आपके लिए कांटे बोता है, आप उसके लिए फूल बोइये,
आपके आस-पास फूल ही फूल खिलेंगे जबकि वह व्यक्ति काँटों में घिर जाएगा।