फसल बर्बादी के मुवावजे को लेकर कल हरियाणा में किसानों का राज्य व्यापी आंदोलन 

सिरसा में डीसी ऑफिस पर मोर्चा संभाल लिया है किसानों ने 

सिरसा में दिल्ली बॉर्डर की तर्ज पर चल रहा है धरना-प्रदर्शन 

हिसार में भी 6 महीने से किसान सभा के बैनर के धरना दे रहे हैं किसान

2019-20 का मुआवजा भी नहीं मिलने की बात कर रहे हैं आंदोलित किसान 

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। भले ही उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हों, भले ही संयुक्त मोर्चा ने 31 जनवरी को सरकार पर किसानों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगा कर विश्वासघात दिवस मनाया हो, भले ही संयुक्त किसान मोर्चा अभी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने के लिए संघर्ष कर रहा हो हरियाणा के सिरसा में हरियाणा किसान मंच की अगुआई में किसानों ने बड़ा मोर्चा संभाल लिया है। इस आंदोलन की खासियत यह है कि किसान दिल्ली बॉर्डर पर एक साल तक चले किसान आंदोलन की तर्ज मोर्चा संभाले हुए हैं। किसानों ने अपने ट्रैक्टर-ट्राली लेकर डीसी ऑफिस के सामने लगा दिए हैं और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। सड़क किनारे  किसान अपनी ट्रालियों में रहने के लिए अस्थाई ठिकाना बनाकर जम चुके हैं। वो वहीं पर रहकर खाना बना रहे हैं, और नहा-धो रहे हैं। यहां पर 30 से 40 ट्रालियों के साथ लगभग 40 गांवों के किसानों ने पूरी तरह से डेरा लगा हुआ है। ये किसान अलग-अलग गांवों से 2019, 2020, 2021 में हुई फसल की बर्बादी का मुआवजा सरकार से लेने के लिए आए हैं। किसानों ने 9 फरवरी को बड़ा प्रदर्शन करने का किसानों ने फैसला किया है। उस दिन दूसरी किसान जत्थेबंदियों के द्वारा भी प्रदर्शन में शामिल होने की बात की जा रही है। इसी प्रकार हिसार में भी 6 महीने से किसान सभा के बैनर के नीचे किसान धरना लगाए हुए हैं, तो वहीं  दूसरी ओर गत 6 से 7 फरवरी से किसानों की विभिन्न जत्थेबंदियों ने करनाल में मुख्यमंत्री के शहर में बड़ा प्रदर्शन किया है।
दरअसल इस इलाके में सबसे अधिक पैदावार नरमे की होती है। गुलाबी सुंडी (एक कीड़ा जो फसलों को खा जाता है) के चलते नरमे की 95 प्रतिशत फसल खराब हो गयी। इस तरह से फसल का खराब हो जाना प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन सरकार ने लंबा समय बीत जाने के बाद भी मुआवजे की कोई घोषणा नहीं की, जिससे किसान निराश और हताश थे। इसी मुआवजे एवं अन्य मांगो के लिए किसान कड़ाके की सर्दी में उपायुक्त सिरसा के सामने डेरा लगाए हुए हैं।
हरियाणा किसान मंच के राज्य अध्यक्ष प्रल्हाद सिंह भारूखेड़ा ने बताया कि “जब गुलाबी सुंडी से नरमे की फसल खराब हुई, तो हमने अपने संगठन की तरफ से किसानों को साथ लेकर जिला उपायुक्त को ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया था। उसके बाद कमिश्नरी स्तर पर भी किसानों ने अलग-अलग संगठनों के साथ मिलकर कमिश्नर को ज्ञापन दिया था। लेकिन इसके बाद भी किसानों की समस्याओं पर ध्यान नही दिया गया। पिछले दिनों भी हम सिरसा उपायुक्त को अल्टीमेटम देकर गए थे कि किसानों की समस्याओं पर विचार किया जाए। जब इन्होंने किसानों की किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया, तो हमने ये पक्का मोर्चा यहां लगाया है।” मोर्चे को आज 10 दिन हो गए हैं। 10 दिन के किसान संघर्ष के बाद सरकार ने मुआवजा देने की घोषणा की है। सिरसा, फतेहाबाद और हिसार  इलाके में सबसे ज्यादा नरमा होता है। इसलिए इस इलाके का किसान बेमौसमी बारिश व गुलाबी सुंडी के कारण बर्बाद हो गया है। किसानों ने बैंकों से कर्ज लिया हुआ है। किसान आज सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है सरकार किसान की मदद करने की बजाय कारपोरेट की मदद कर रही है।
सरकार ने मुआवजे की घोषणा कर दी है तो अब क्यों बैठे है इस सवाल के जवाब में प्रल्हाद सिंह ने कहा  “हमारी कुल 9 मांगे हैं उनमें से एक मुआवजे की मांग भी है। मुआवजे की घोषणा भी सरकार ने सही तरीके से नहीं की है। इसके साथ ही 2019-20 का मुआवजा भी अभी बकाया है। दूसरी मांगों पर सरकार अभी भी खामोश है। जैसे नहर में पानी महीने में 15 दिन दिया जाए, किसान को डीजल टैक्स से मुक्त दिया जाए, बिजली ट्यूबवेल कनेक्शन बिना शर्त जारी किए जाए, समय पर किसान को खाद दिया जाए। इस तरह हमारी 9 मांगे हैं, जिन पर सरकार व प्रशासन चुप है। जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नही करती, तब हम उठ कर नहीं जायेंगे।”
दरअसल किसान आंदोलन के बाद किसान अब शासन-प्रशासन से लड़ना सीख गए हैं। अब जब उनकी सुनी नहीं जाती है तो फिर अपने ट्रैक्टर और ट्राली लेकर मोर्चा खोल लेते हैं।

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