
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में इंडिया ब्लॉक से नाता तोड़कर एनडीए में वापसी की थी। इसके बाद से उन्होंने कई बार स्पष्ट किया कि अब वे आरजेडी से हाथ नहीं मिलाएंगे। बावजूद इसके, आरजेडी के नेता इस पर यकीन नहीं कर पा रहे। आरजेडी सांसद मीसा भारती और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, दोनों ही समय-समय पर नीतीश कुमार के साथ आने का संकेत देते रहे हैं।
आरजेडी की सोच यह है कि नीतीश कुमार का भाजपा से तालमेल नहीं बैठ रहा। चाहे वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का मुद्दा हो या भाजपा नेताओं के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान, नीतीश के सिद्धांतों से यह मेल नहीं खाता। खासकर, भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा और अररिया से भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के विवादास्पद बयान ने नीतीश की नाराजगी को और बढ़ा दिया है।
नीतीश कुमार ने अब 28 अक्टूबर को एनडीए की बैठक बुलाई है। चर्चा है कि इस बैठक में वे भाजपा के नेताओं को सख्त चेतावनी देंगे। नीतीश की नाराजगी इस बात पर भी है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जेडीयू को केवल दो सीटें ही दीं, जबकि जेडीयू 11 सीटों की मांग कर रहा था। नीतीश ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, लेकिन जेडीयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
बैठक में नीतीश कुमार भाजपा नेताओं से कह सकते हैं कि अनर्गल बयानों से परहेज करें और भाजपा की हिंदू-समर्थक छवि को लेकर सावधानी बरतें। आगामी विधानसभा उपचुनाव में मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी जेडीयू को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसका नीतीश को अंदेशा है। एनडीए की इस बैठक में सभी घटक दलों के विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के अलावा जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया है। बैठक में विधानसभा उपचुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाई जाएगी।
नीतीश के सख्त तेवर इस बार एनडीए में भाजपा नेताओं को चेताने का संकेत दे रहे हैं। जिस तरह महागठबंधन में रहते हुए उन्होंने आरजेडी नेताओं को फटकारा था, उसी अंदाज में अब भाजपा नेताओं को भी हिदायत दे सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश फिलहाल एनडीए से अलग नहीं होंगे, भले ही उनकी नाराजगी बनी हुई हो।