उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र वो राज्य हैं जहा सबसे ज्यादा लोकसभा सीट हैं। उत्तरप्रदेश में 80 तो महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटे हैं। महाराष्ट्र में इस बार कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर देखने को मिल सकती हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। शिवसेना के साथ दोनों ने 41 सीट जीती थी। जिसमे से 23 बीजेपी और 18 सीटे शिवसेना ने जीती थी। लेकिन इस बार की बात करे तो इस बार समीकरण अलग नज़र आ रहे हैं उसका कारण हैं कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना टूट गई हैं। इस समय प्रमुख गुट का मार्गदर्शन एकनाथ शिंदे कर रहे हैं जिनका बीजेपी के साथ गठबंधन हैं।
वही बात करे तो उद्धव बालसाहिब ठाकरे गुट अब विपक्ष का पक्ष ले रहा हैं।
और अगर बात करे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी में भी दो गुट तैयार हो गए हैं। जहा अजित पवार ने बीजेपी शिवसेना गठबंधन सरकार के साथ गठबंधन किया है। और अगर बात करे सरद पवार कि तो उन्होंने विपक्ष को अपना समर्थन दिया हैं। अगर स्थति पिछले लोकसभा चुनाव की तरह होती तो बीजेपी सीटों की संख्या’
को दोहराने के लिए यकीन कर लेती लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अगर बात करे बीजेपी की तो शहरों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। लेकिन पार्टी को
इस बात को लेकर चिंतित हैं की ग्रामीण इलाकों में उसका प्रदर्शन केसा होगा।
राज्य में इस समय कृषि संकट हैं। बेमौसम बारिश और अपप्रत्याषित मौसम के कारण नियमित रूप से फसल का नुक्सान हो रहा हैं जिसके कारण राज्ये सरकार ने किसानो को मुआवजा दे रही हैं। लेकिन फसल क्षति एक नियिमत रूप से बन गई हैं। यह मुआवजा किसानो के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं होगा।
क्यों की टमाटर और प्याज पर निर्यात पर प्रतिबंद लगाकर घरेलू कीमतों का नियंत्रण में रखने के केंद्र के हस्तक्षेप से नाराज हैं। जिससे बीजेपी को बड़ा नुक्सान हो सकता हैं। हलाकि प्रतिबंद के कारण गिरती कीमतों को लेकर किसानो में गुस्सा अधिक हैं।
प्रतिबंद को हटाने के लिए राज्य मंत्रियो को केंद्र के साथ हस्तक्षेप करने का प्रयास करना पड़ा। वही दूसरी ओर एनसीपी और शिवसेना बिखरी हुई पड़ी हैं। बात करे और एनसीपी की तो उनके पास 53 विधयाक हैं साल 2019 में संसदीय चुनावों में, एनसीपी ने बारामती में अपने गढ़ सहित चार सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी में फूट के साथ एनसीपी की संख्या और कम होने की उम्मीद है।
हालांकि अभी यह देखा जाना बाकी है कि पवार सीनियर का अगला कदम क्या है। अजीत गुट का बीजेपी गठबंधन में शामिल होना भी ग्रामीण क्षेत्रों में उसकी मदद करने के लिए है। हालांकि, शरद पवार बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नुकसान पहुंचाने के लिए कृषि संकट को उठाएंगे। ऐसे में 32 से 35 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं बीजेपी शिवसेना (शिंदे) के पास भले ही शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह हो, लेकिन न तो बीजेपी और न ही शिंदे खेमे को लगता है कि वह 2019 के 18 सीटों के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां शिंदे खेमे ने अधिकांश विधायकों और सांसदों को आकर्षित किया है, वहीं एमएमआर को छोड़कर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता अभी भी काफी हद तक उद्धव ठाकरे के साथ हैं। बीजेपी अब इनमें से कई सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जो पहले उसकी सहयोगी शिवसेना द्वारा लड़ी गई थीं। बीजेपी कुछ शिवसेना सांसदों को भी पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए ला सकती है। चर्चा है कि बीजेपी राज्य में अधिक सीटें जीतने की संभावना बढ़ाने के लिए 32 से 35 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है।