चरण सिंह राजपूत
जो लोग अभी भी भक्त बने घूम रहे हैं। वे कम से कम इस तस्वीर और इसको लेकर एसएचओ की सफाई को जरूर जान लें। यह भारतीय जनता पार्टी के लोकतंत्र और राम राज की तस्वीर है। यह तस्वीर और इसके पीछे का जो तर्क है वह झकझोरने वाला है। भाई मामला शिवराज चौहान के राज का है। जहां किसी भाजपा नेता के खिलाफ बोला कि आ गई शामत। मध्य प्रदेश की राजधानी में ऐसा ही हुआ है। दरअसल कुछ पत्रकारों, रंगकर्मियों और स्थानीय नेताओं ने स्थानीय विधायक और उसके बेटे के बारे में कुछ गलत बोल दिया। फिर क्या था कि उन लोगों को पुलिस ने उठाकर थाने में बंद कर दिया और अर्धनग्न स्थिति में रखा। जब अर्धनग्न स्थिति में यह तस्वीर वायरल हुई तो संबंधित एसएचओ ने सफाई दी कि कहीं ये लोग अपने ही कपड़ों से फांसी न लगा लें, इसलिए इनके कपड़े उतरवा दिये गये थे।
दरअसल मध्य प्रदेश की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर एक खूब चर्चित हो रही है। इस वायरल तस्वीर में जो लोग नजर आ रहे हैं वे अंडरवियर पहने हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल इस तस्वीर में कुछ पत्रकार और कुछ रंगकर्मी और कुछ स्थानीय नेता बताये जा रहे हैं। इन लोगों पर आरोप है कि इन लोगों ने बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरु दत्त शुक्ला के बारे में कोई अभद्र टिप्पणी कर दी है। यह राम राज ही है कि इन लोगों को पुलिस ने थाने में लाकर अर्धनग्न अवस्था में खड़ा कर दिया।दिलचस्प बात यह है कि तस्वीर वायरल होने के बाद एसएचओ ने जो सफाई दी है वह बड़ी हास्यास्पद है। एसएचओ की इस सफाई के बाद यूजर्स भड़क गए हैं। दरअसल एसएचओ ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि पकड़े गए लोगों को पूरी तरह से नग्न नहीं किया गया था। उनका तर्क है कि सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें हवालात में डालने से पहले अंडरवियर में रखा क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं कोई व्यक्ति अपने कपड़ों से खुद को फांसी ना लगा ले। पत्रकारों को अर्ध नग्न रखने के पीछे एसएचओ ने सुरक्षा की बात की कही है।
यूजर्स ने जमकर किये कमेंट्स : प्रभाकर मिश्रा नाम के एक यूजर ने कमेंट किया है कि इस तस्वीर में केवल कुछ लोग नंगे नहीं दिख रहे हैं, मुझे तो इसमें मध्य प्रदेश की पूरी व्यवस्था नंगी दिखाई दे रही है। विनोद कापड़ी ने कमेंट किया कि थोड़ी लाज बची है शिवराज सिंह चौहान? अमरीश गुप्ता नाम की एक टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया कि पत्रकारों को नग्न करने के मामले में इन साहब का बयान सुनेंगे तो कसम से आपको स्प्रिंग लग जाएगी।
दरअसल भाजपा अपने राज को रामराज बताती है पर रामराज के एकदम उल्टे राज करती है। भाजपा को रामराज की खासियत जानना चाहिए। रामराज का मतलब भी जनता का राज ही माना जाता है। बताया जाता है कि राम के राज में हर कोई खुश था पर भाजपा तो एक विशेष धर्म को तवज्जो देती है। राम राज में गुप्तचर जनता की राय जानने के लिए रात में भी गुप्त जानकारी जुटाते थे और राम उनकी इच्छानुसार राज चलाते थे। भाजपा के राज में उसके गुप्तचर यह जानकारी जुटाते हैं कि कोई प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर किसी दूसरे भाजपा नेता की आलोचना तो नहीं कर रहा है। यदि कर रहा होता तो उसका जमकर उत्पीड़न किया जाता है। भाजपा यदि जय श्री राम के नारे लगाने पर जोर देती है। यदि राम ही उनके आदर्श हैं तो उनके विचारों को भी समझना चाहिए। राम की नजरों में जनता का निर्णय सर्वोपरि था। कहा जाता है कि एक धोबी के उनकी पत्नी सीता के चरित्र पर आरोप लगाने पर उन्होंने अपने पत्नी को ही घर निकाला दे दिया था। मतलब राम भी जानते थे कि धोबी गलत बोल रहा है पर उनकी नजरों में अपने परिवार से ज्यादा जनता प्रिय थी। भाजपा के राज में जहां महंगाई चरम पर है। जीएसटी के नाम पर हर किसी से भरपूर टैक्स वसूला जा रहा है वहीं राम के बारे बताया जाता है कि जब भरत उनसे मिलने वन में पहुंचे तो उन्होंने जनता से कर लेने की बात पूछी। तो राम ने कहा था कि जैसे सूरज लेता और देता ऐसे ही राजा को जनता से कर लेना चाहिए। मतलब जैसे सूरज वाष्प के रूप में जल लेता है और बारिश के रूप में देता है। ऐसा ही स्वभाव राजा का भी होना चाहिए। राम ने तो तुच्छ जाति के निषाद को अपना मित्र बनाया था। भिलनी के झूठे बेर में उनको अद्भुत स्वाद आया था। तमाम राजा होने के बावजूुद उन्होंने वानरों के बल पर रावण से युद्ध जीता था। यह थे राम मे विचार और उनका राज। भाजपा का राज क्या है ? जहां किसी ने भाजपा के किसी नेता के बारे में कुछ बोला कि डाल दो उसे जेल में।