द न्यूज 15
चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान ने बुधवार को पंजाब के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। इस दौरान सियासत के कई बड़े नाम मौजूद रहे, लेकिन मान की पूर्व पत्नी इंद्रप्रीत कौर का केवल नाम ही चर्चा में ही रहा। 2014 में राजनीति में कदम रखने वाले मान की सियासी तरक्की में कौर की काफी बड़ी भूमिका रही है। हालांकि, साल 2015 में मान ने पंजाब को अपना परिवार बताते हुए पत्नी और बच्चों से दूरी बना ली थी।
बात साल 2015 की है। जनता के बीच एक खुशहाल दंपति की छवि रखने वाले भगवंत मान और इंद्रप्रीत कौर ने SAS नगर कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी थी। इस खबर ने कई लोगों को चौंकाया। ऐसे में मान ने दावा किया था कि उन्होंने ‘परिवार से पहले पंजाब’ को चुना। उस दौरान भी कोर्ट ने विचार के लिए 6 महीनों का समय दिया था, लेकिन मान अपना मन बना चुके थे।
उन्होंने इसे लेकर एक कविता भी पोस्ट की थी- ‘जो लटकेयां सी चिरा तो ओ हाल हो गया, कोर्ट च एह फैसला कल हो गया… एक पासे सी परिवार, दूजे पासे सी परिवार… मैं ता यारां पंजाब दे वल हो गया।’ इसका मतलब हुआ कि लंबे समय से अटका हुआ एक मुद्दा सुलझ गया है। कोर्ट ने कल फैसला कर दिया है। मुझे एक और दूसरे परिवार के बीच चुनना पड़ा। मैंने पंजाब के साथ जानने का फैसला किया।
जब पत्नी बनी सियासी सहारा : कौर ने मान के सियासी सफर में भी काफी साथ दिया। साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पति की जीत के लिए संगरूर के गांवों में प्रचार करती रहीं। पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब के समय से ही कौर ने मान के लिए कई सभाओं और भाषणों में हिस्सा लिया। हालांकि, पति से अलग होने के बाद कौर अमेरिका में अपने बच्चों के साथ बस गईं।
लोगों के निशाने पर भी आ गए थे मान : 2015 में कई लोगों ने मान के फैसले को सियासी पैंतरा माना। हालांकि, कई लोग उनके समर्थन में भी आ गए थे। आप नेता ने एक समर्थक की तस्वीर भी साझा की थी, जिसमें लिखा था, ‘हम भगवंत मान के आभारी हैं कि उन्होंने हमारे लिए परिवार की कुर्बानी दे दी और अपने बच्चों से पहले हमारे दर्द पर ध्यान दिया। हम भी उनके साथ खड़े हैं।’
क्या रहे पंजाब चुनाव के नतीजे : 117 सीटों वाले पंजाब में आप ने 92 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, संगरूर जिले की धुरी सीट से चुनावी मैदान में उतरे मान ने भी करीब 58 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। 2017 में दूसरे नंबर पर रही आप इस बार राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार है। जबकि, चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व वाली कांग्रेस 18 सीटें ही जीत सकी।