चरण सिंह
जब देश में फ्री की योजनाओं का बोलबाला हो। 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन मिल रहा हो तो कम से कम आदमी दो वक्त की रोटी तो जुटा ही लेता है। फिर भी कोई व्यक्ति आत्महत्या कर ले रहा है तो समझा जा सकता है कि वह कर्जदार रहा होगा। देखने में आता है कि आसानी से कर्ज मिलने की वजह से लोग कर्ज लेकर शौक पूरे करने में लगे हैं। आदमी दिक्कत में आ रहा है तो वह या तो खर्चे इतने बढ़ा ले रहा है कि उसकी आय काम पड़ जा रही है या फिर वह कर्जा इतना ले रहा है कि उसको चुकाना मुश्किल हो रहा है।
व्यक्ति विशेष के आत्महत्या करने की ख़बरें तो समय समय पर आती रहती हैं पर कुछ दिनों से परिवार के परिवार आत्महत्या कर ले रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि देश में इतनी गरीबी रही। लोगों को इतनी इतनी परेशानी उठानी पड़ी पर आत्महत्या की ख़बरें बहुत कम सुनने को मिलती थी। अब जब लोगों के पास पैसा भी हो। आय भी अधिक हो गई है। संसाधन भी ज्यादा हैं तो फिर लोग आत्महत्या क्यों कर रहे हैं ?
अधिकतर मामले कंपनियों के कर्जे की वजह से आत्महत्या के निकलते हैं। दरअसल लोग फाइनेंस कंपनियों से मोटे ब्याज पर कर्जा ले लेते हैं फिर दिया जाता नहीं है। ये कंपनियां चक्रवृद्धि ब्याज लगा लेती हैं। इन कंपनियों का तगादा भी तगड़ा ही होता है। जब कर्जा लेने वाला व्यक्ति अपने को अपमानित महसूस करता है तो फिर गलत कदम उठा लेता है। अक्सर देखने में आता है कि गाड़ी मकान वाले लोग भी परिवार के साथ आत्महत्या कर ले रहे हैं। बाद में पता चलता है कि उनकी सम्पत्ति से कई गुना उन पर कर्जा है।
यदि कोई दम्पति इतना कर्जा कर ले कि उसे परिवार के साथ आत्महत्या करनी पड़ जाये तो समझा जा सकता है कि ये फाइनेंस कंपनियां कितना तगड़ा ब्याज वसूलती हैं या फिर आदमी कितनी लापरवाही से कर्जा लेता है। इस तरह की घटनाएं समय समय पर पढ़ने और सुनने को मिलती रहती है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का पढ़ने को मिला है। यहां पर एक दम्पति ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर निगल लिया। इनमें से बेटे की मौत हो चुकी है। अन्य की हालत गंभीर है। मतलब बचाना मुश्किल है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या इस तरह की घटनाएं हमें सोचने और समझने को मजबूर नहीं कर रही हैं ?
दरअसल सहारनपुर में कर्ज में डूबे एक युवक ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों को जहर देकर खुद भी जहर निगल लिया। मामला कितना दर्दनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दंपती और बच्चे गागलहेड़ी-देवबंद हाईवे पर गंभीर हालत में पड़े मिले थे। जानकारी मिली है कि उपचार के दौरान डेढ़ वर्षीय बच्चे ने दम तोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के गांव नंदी फिरोजपुर निवासी विकास ने फाइनेंस कंपनियों से करीब पांच लाख रुपये का कर्ज ले रखा था। विकास गांव-गांव जाकर माेची का काम करता था।
कर्जा ज्यादा होने के कारण विकास किस्त जमा नहीं कर पाया। फाइनेंस कंपनियों के एजेंट वसूली को लेकर दबाव बना रहे थे। कर्जा न देने की वजह से इस व्यक्ति ने परिवार के साथ जहर निगल लिया। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर लोग इन फाइनेंस कंपनियों के चंगुल में कैसे आ जाते हैं ? कैसे मोटे ब्याज पर कर्जा ले लेते हैं। दरअसल लोग लेने के समय यह नहीं सोचते कि इतना पैसा कैसे दिया जाएगा ? कंपनियां भी देते समय बताती कुछ और हैं और वसूलती कुछ और हैं।