जिंदगी की कहानी रही अनकहीं,दिन गुजरते रहे सांसे चलती रही

0
25
Spread the love

मुजफ्फरपुर। शहर की पुरानी संस्था श्री नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन, मंच संचालन वरिष्ठ कवि गीतकार डाॅ.विजय शंकर मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत- जिन्दगी की कहानी रही अनकही, दिन गुजरते रहे सांसे चलती रही….. डाॅ. विजय शंकर मिश्र- समय पत्र पर अमर गीत मैं रचनेवाला गीतकार हूं….. शायर डाॅ. नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने ग़ज़ल- हालात हमारे भी बदल क्यूं नहीं जाते, ये ख्वाब हकीकत में उतर क्यूं नहीं जाते……आचार्य चन्द्र किशोर पाराशर – समय की सीढ़ियों पर चढ़ता रहूंगा, इक नई सदी मैं गढ़ता रहूंगा….. सुमन कुमार मिश्र- अभाव से दूरियां बढ़ती गई, हम सुख से वंचित होते गए…… सत्येन्द्र कुमार सत्येन- धीरे धीरे अइली बदरिया, उतरी असमनवा नू हो….. डाॅ. जगदीश शर्मा – दिल की दिल से हो रही मुलाकात की बात है , विश्व हृदय दिवस मना रहा सारा आज है …… अरुण कुमार तुलसी- अल्प ज्ञान बनता महान, सरिता न होते कभी सागर समान…… उमेश राज- हमसे मत पूछो दिल पर क्या गुजरी है…… अंजनी कुमार कुमार पाठक – हंसते मुस्कुराते पटा लीजिए….. रामबृक्ष राम चकपुरी- मुर्झाया हुआ चेहरा कब कली बन खिलेगा चमन में……ओमप्रकाश गुप्ता- बेसबब तकरार से कुछ हासिल नहीं होगा…… इसके अलावे मुन्नी चौधरी प्रभा, अभय कुमार शब्द, नरेन्द्र मिश्र, यशपाल कुमार, नन्द किशोर पोद्दार, सुरेन्द्र कुमार, रणवीर अभिमन्यू की रचनाएं भी सराही गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here