टूट रही है कलम

0
15
Hands holding a pencile and breakign it in half. Close up.
Spread the love
टूटने लगा है
सच का ताना बाना
न बची है इल्म
न बची है स्याही
यूँ ही मार दिये जाते हैं
कलम के सिपाही ..
न शोर होता है
न होती है सभा
न राज खुलता है
न बनता है कोई गवाह ..
लोकतंत्र चिल्लाता है
और न्यायतंत्र यूँ ही
सारे राह बिक जाता है ..
इस तंत्र में
औरत से लेकर अदालत तक
सब बिकाऊ है
तुम्हारी हैसियत है तो
लूट लो नहीं तो
तुम्हारा जीवन बिकाऊ है …
छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित ।।
केएम भाई

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here