लोकसभा चुनाव में कुछ समय ही रह गया हैं। सभी पार्टिया ब्राम्हण समाज को एक करने में लग गयी हैं ! वही बात करे समाजवादी पार्टी की तो वो अब अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुट गई है ! सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा दे रखा है !अब पार्टी अगड़ा को भी जोड़ने में जुट गई है। इसी कड़ी में सपा अब ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर रही है ! एक दिन पहले लखनऊ स्थित सपा के प्रदेश मुख्यालय …में सपा के प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए।
अखिलेश यादव की मौजूदगी में यह स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का मुद्दा भी उठा और देखा जाए तो इससे ब्राह्मण समाज में काफी काफी गुस्सा हैं। हिंदू धर्म और रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर ब्राह्मण समाज के लोगों, सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर आपत्ति जताई। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग की । तो क्या समाजवादी पार्टी आने वाले चुनाव में ब्राम्हण समाज को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य से दर किनार कर लेगी ! ऐसा देखा गया हैं जब से स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं तब से वो अपने बयान के कारण विवादों से घिरे रहते हैं। जिसका साफ़ सीधा नुक्सान समाजवादी पार्टी को देखना पड़ सकता हैं। इस पर अखिलेश यादव ने कहा की इन प्रकार की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा । साथ ही उन्होंने यह भी बोला की वह कभी भी अपने किसी भी नेताओ यह कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें। ऐसा देखा गया हैं की वह खुद भी जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं। लेकिन इसका कोई खास असर होता हुआ नजर नहीं आया हैं अब लोकसभा चुनाव से पहले क्या समाजवादी पार्टी ब्राह्मण समाज को एक करने का काम कर पाएगी यह नहीं यह बड़ा सवाल हैं।