एक हेल्दी रिलेशनशिप में लड़ाई-झगड़े होना काफी आम होता है. कहा जाता है कि नाराजगी और लड़ाई-झगड़ों की वजह से रिश्तों में प्यार बरकरार रहता है. लेकिन कई बार ये लड़ाई-झगड़े काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं और नौबत तलाक तक पहुंच जाती है. बीते कुछ सालों में भारत में तलाक के मामले काफी ज्यादा बढ़ने लगे हैं. हर किसी की तलाक की अपनी वजहें हो सकती हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो अधिकतर रिश्तों के टूटने की वजह बनती हैं. पहले के समय स्त्री ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होती थी तो स्वाभाविक है कमाई का कोई जरिया था नहीं इसलिए वह अपने पति की सभी दुर्व्यवहार को सह लेती थी लेकिन आजकल वे अपने बल बूते पर अपने जीवन को अपने हिसाब से चला लेती हैं तो उन्हें कुछ भी गलत लगता है तो तलाक ले लेती हैं, यहां केवल एक बड़ा कारण है लेकिन और भी बहुत कारण हो सकते हैं, जैसे आजकल लव स्टोरी बहुत आम बात है युवाओं की इसलिए भी तलाक हो ते हैं। और इनके तलाक के चक्कर में उन बच्चों का कोई नहीं सोचता की उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ,जब बच्चे को यह पता चलता है कि उसे अपने किसी एक पैरेंट्स के साथ रहना होगा तो उसके व्यवहार में काफी बदलाव आता है. यह पाया गया है कि ऐसे बच्चे अपने माता-पिता को दोषी मानते हैं और दोनों से ही अटैचमेंट खत्म करने की कोशिश करते हैं, जिस वजह से वे ऐग्रेसिव बिहेव करने लगते हैं . अब हाल में सुप्रीम कोर्ट ने इसे ही एक तलाक केस को देखते हुए बयान जारी किया है ।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में पति-पत्नी के विवाद में एक अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर कोई महिला अपने बच्चे के मन में पिता के खिलाफ बुरी बातों के जरिए खराब छवि गढ़ती है या बनाने की कोशिश करती है तो यह क्रूरता होगी और यह तलाक का आधार भी हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि पिता के प्रति बच्चे में शत्रुता जगाना बच्चे के प्रति घोर अमानवीयता भी है। महिला ने पति पर विवाहेत्तर संबंध का आरोप लगाया है। मामले में कोर्ट ने महिला द्वारा बेटी को पति के खिलाफ हथियार बनाने पर फटकार भी लगाया है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने यह कहा कि पति-पत्नी के बीच एक नहीं असंख्य कारणों से मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वैवाहिक विवाद में नाबालिग बच्चों को शामिल करना कहीं से भी उचित नहीं है। सेना में एक इंजीनियर और पीएचडी डिग्री धारक लेक्चरर पत्नी के बीच विवाहेत्तर संबंध को लेकर हुए विवाद में हाई कोर्ट ने कहा कि महिला अपने बच्चों को उनके पिता के खिलाफ करने की कोशिश कर रही है और उनसे पिता के खिलाफ शिकायतें लिखवा रही है, यह माता-पिता के अलगाव का स्पष्ट मामला है और पिता/पति के प्रति गंभीर मानसिक क्रूरता है, जो उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का अधिकार देता है। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “पति के घर पर छोटी बेटी को अपने साथ ले जाना, फिर उसकी मौजूदगी में ही पति पर व्यभिचार का आरोप लगाना और पुलिस को बुलाना; एक बच्चे की मनोदशा को बर्बाद करने और उसे उसके पिता के खिलाफ भड़काने का कृत्य है। एक व्यक्ति एक बुरा पति हो सकता है लेकिन इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह एक बुरा पिता भी है। बच्ची को उनके पिता के खिलाफ भड़काने की कोशिश की गई है। यहां तक कि उससे उसके पिता के खिलाफ शिकायत भी लिखवाई गई, जो अपने आप में गंभीर मानसिक क्रूरता है।” बेंच ने कहा, “पति-पत्नी के बीच चाहे कितने भी गंभीर मतभेद क्यों न हों, किसी भी सूरत में पीड़ित पति या पत्नी द्वारा अपने जीवनसाथी के खिलाफ बच्चे को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश में नाबालिग बच्चे में शत्रुता और नफरत के बीच बोना और उसे भड़काना उचित नहीं हो सकता है। पिता-पुत्री के रिश्ते को ख़राब करने के उद्देश्य से की गई बदले की ऐसी भावना न केवल पिता के प्रति कठोर क्रूरता है, बल्कि बच्चे के प्रति भी घोर अमानवीयता है।”
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें पीड़ित पति की तलाक अर्जी खारिज कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने महिला के कृत्य को क्रूरता करार देते हुए पति की तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया है। इस दंपत्ति की 1998 में शादी हुई थी लेकिन एक साल बाद ही महिला ने पति का घर छोड़ दिया था। पति सेना में इंजीनियर है, जबकि महिला एक कॉलेज में पढ़ाती है। दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर विवादित दावे किए थे। इस दंपत्ति की दो बेटियां हैं।