बिहार चुनाव से पहले आरजेडी के फैसले से गरमाई सियासत
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार की राजनीति में फिर गरमागर्मी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के महागठबंधन में आने की संभावनाओं पर विराम लगा दिया है। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए राजद और महागठबंधन के दरवाजे पूरी तरह बंद हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ सरकार चलाना ‘अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने’ जैसा होगा। उन्होंने नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार सिर्फ नीतीश के चेहरे पर चल रही है, जबकि असल में थके हुए और रिटायर अफसर इसे चला रहे हैं। इस बयान के बाद बीजेपी और जेडीयू ने पलटवार किया है।
तेजस्वी यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। हाल के दिनों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच अंदरखाने सहमति बन रही है। आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और विधायक भाई वीरेंद्र के बयानों ने इन अटकलों को और हवा दी। शक्ति सिंह यादव ने कहा था कि समाजवादी सोच के लोग कभी भी एक हो सकते हैं, जबकि भाई वीरेंद्र ने नीतीश कुमार का स्वागत करने की बात कही थी।
आरजेडी नेताओं के इन बयानों के बाद बिहार की सियासत गरमा गई थी, लेकिन तेजस्वी यादव के बयान ने साफ कर दिया कि महागठबंधन में नीतीश कुमार की कोई जगह नहीं है। उनके बयान के बाद विपक्षी और सत्ताधारी दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई।
बीजेपी नेता और मंत्री केदार गुप्ता ने तेजस्वी यादव के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार की दिशा और दशा को बदलने का काम किया है। उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी यादव कुछ दिन सरकार में थे और अब बाहर हैं, इसलिए वे ‘टायर्ड’ और ‘रिटायर्ड’ की बातें कर रहे हैं। उनके माता-पिता की सरकार को बिहार की जनता ने देखा है, और जनता ने ऐसे गठबंधनों को नकार दिया है।’
जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने तेजस्वी के बयान को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार एनडीए के साथ मजबूती से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी यादव को दरवाजा बंद करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि नीतीश कुमार कहीं नहीं जाने वाले हैं। 2025 में एनडीए गठबंधन उनके नेतृत्व में एक बार फिर बड़ी जीत हासिल करेगा। तेजस्वी यादव के इस तरह के बयान केवल उनकी राजनीति को हास्यास्पद बना रहे हैं।’