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पूर्णिया में तेजस्वी ने स्वीकार कर ली हार, NDA के लिए मांग लिए वोट 

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पूर्णिया से दो बार निर्दलीय तो एक बार समाजवादी पार्टी से रह चुके हैं सांसद 

 

द न्यूज 15 

पटना। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव क्या पूर्णिया से पप्पू यादव से डर गए हैं ? उनके एनडीए के लिए वोट मांगने से तो ऐसा ही लग रहा है।
दरअसल तेजस्वी यादव ने कहा कि है आप ‘इंडिया’ के उम्मीदवार बीमा भारती को वोट नहीं कर सकते तो एनडीए प्रत्याशी को वोट दे दीजिए। उन्होंने नाम तो नहीं लिया, लेकिन निशाने पर पप्पू यादव थे। दरअसल पूर्णिया के मैदान में पप्पू यादव ने चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। पप्पू यादव को भी उन्हीं मतदाताओं पर भरोसा है, जिन पर आरजेडी की प्रत्याशी बीमा भारती की दावेदारी है। यानी मुस्लिम, यादव और पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों के भरोसे दोनों उम्मीदवार हैं। पप्पू को यादव समाज का भी खासा समर्थन मिल रहा है। मुसलमान भी दो हिस्सों में बंटे दिखते हैं। जाहिर है कि विपक्ष का वोट बंटा तो इसका लाभ एनडीए प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को मिलेगा। संतोष तीसरी बार मैदान में हैं। उनकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा से अलग होकर जेडीयू ने 2014 में उन्हें उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने मोदी लहर के बावजूद जीत का परचम लहरा दिया था। दूसरी बार उनकी जीत इसलिए और आसान हो गई कि जेडीयू ने भाजपा से हाथ मिला लिया था।

 

पप्पू से तेजस्वी को नफरत क्यों

 

पप्पू यादव ने आरजेडी, समाजवादी पार्टी और लोजपा के टिकट पर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव 2014 तक जीतते रहे। लालू का विरोध किया तो आरजेडी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। उसके बाद 2015 में पप्पू ने अपनी जन अधिकार पार्टी बना ली और उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में अपने 60 उम्मीदवार उतार दिए। तब जेडीयू और आरजेडी महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रहे थे। जाहिर है कि इससे पप्पू के प्रति लालू का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर रहा होगा। 2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद पप्पू यादव ने लालू परिवार से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी। इंडी अलायंस में जाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। लालू और तेजस्वी से मुलाकात की जैसी तस्वीरें पप्पू ने सोशल मीडिया पर जारी कीं और लालू को अपना अभिभावक बताना शुरू किया, उससे लगा कि नफरत की बर्फ पिघल गई है। पर, टिकट बंटवारे में लालू ने नफरत में कोई कमी नहीं आने का संकेत दे दिया। लालू ने कांग्रेस को पूर्णिया की सीट दी ही नहीं, जहां से चुनाव लड़ने की उन्होंने जिद ठान ली थी। आरजेडी ने बीमा भारती को पूर्णिया से अपना उम्मीदवार बना दिया। ‘दो धाराओं का है ये चुनाव, या तो एनडीए या इंडिया’ कटिहार में तेजस्वी यादव बोले- किसी के बहकाबे में न आना

 

पप्पू को लालू पसंद नहीं करते

 

दरअसल पप्पू यादव सांसद न रहते हुए भी जन सेवा में कभी पीछे नहीं रहे। बिहार में पप्पू ने अपनी अलग पहचान बनाई है। वे यादवों तक ही सीमित नहीं रहते। उनकी कोशिश हर बिरादरी को हमेशा साधने की रही है। आपदा-विपदा में पप्पू की सक्रियता से बिहार के लोग अच्छी तरह परिचित हैं। यादव समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है। यह भी सबको पता है कि लालू ने अपने परिवार के अलावा अपनी बिरादरी के किसी अन्य नेता को कभी बराबरी में खड़ा नहीं होने दिया। पप्पू यादव भी लालू की इसी रणनीति के शिकार हुए हैं।
लालू अपने बेटे तेजस्वी के बराबर किसी को खड़ा होने का मौका नहीं देना चाहते। लालू की इसी रणनीति के शिकार पिछले चुनाव में सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ चुके और अब कांग्रेस में शामिल कन्हैया कुमार को भी बड़ी चालाकी से बिहार से बाहर कर दिया। कन्हैया का पत्ता काटने के लिए लालू ने उनकी पसंदीदा बेगूसराय सीट पहले ही सीपीआई को दे दी थी। नतीजतन कांग्रेस को कन्हैया कुमार के लिए दिल्ली में एडजस्ट करना पड़ा।