आजीवन कार्यकर्ताओं को गढ़ने और स्थापित करने का काम करते रहे सुरेंद्र मोहन

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सुरेंद्र मोहन
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जनसंघर्षों का इतिहास है भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास

जनसंघर्षों की शक्ति स्थापित कर दी है किसान आंदोलन ने

मोहब्बत के रास्ते पर चलकर इंसानियत को कायम करना हो समाजवाद का लक्ष्य

भाजपा को हराने के लिए समाजवादियों के एकजुट होने का किया आह्वान
द न्यूज 15 संवाददाता
नई दिल्ली। समाजवादी समागम द्वारा समाजवादी चिंतक सुरेंद्र मोहन की 11 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सी एफ डी के एन डी पंचोली की अध्यक्षता में लोकतंत्र में जन संघर्षों की अनिवार्यता विषय पर दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान संगोष्ठी संपन्न हुई। पीयूसीएल के अध्यक्ष रवि किरण जैन ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी सच्चे समाजवादी और ईमानदार राजनीतिज्ञ और पत्रकार थे। उन्होंने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी अजीवन लोकतंत्र और जन संघर्षों के हिमायती रहे ।
हिंद मजदूर सभा के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी देश भर में जहां कहीं भी संघर्ष होते थे उनका समर्थन करने वहां पहुंच जाते थे। उन्होंने कहा कि किसानों ने जन संघर्षों की शक्ति स्थापित की है जिससे सभी को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की सार्वजनिक संपत्ति को निजी संपत्ति मानकर बेच रहे हैं। उन्होंने देशभर के नागरिकों से श्रमिकों द्वारा आयोजित हड़ताल का समर्थन करने की अपील की।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ अनिल ठाकुर ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने समाजवादियों की एकजुटता के लिए आजीवन प्रयास किया। राजद नेता संजय कनौजिया ने कहा कि देश में समाजवादियों की जमात ही संघर्ष करना जानती है।
लोकतांत्रिक जनता दल के महामंत्री जावेद रजा ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने समाजवादी विचार को जीने का काम किया। सुश्री डॉ भारती ने कहा कि नागरिकों की भूमिका वोट देने तक सीमित रखी जानी चाहिए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को सार्थक बनाने के लिए जन संघर्ष अनिवार्य हैं। राष्ट्र सेवा दल के अमर सिंह ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने मुझे राष्ट्र सेवा दल से जोड़ा तथा मुझे पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनाया।
असंगठित श्रमिकों के नेता जे एस वालिया जी ने कहा कि उन्होंने आजीवन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का काम किया। सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री रती ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी के सादगी पूर्ण एवं सरल जीवन ने सभी को प्रभावित किया था।
एस पी आई के प्रोफ़ेसर श्याम गंभीर ने कहा कि जन के बिना कोई संघर्ष प्रभावकारी नहीं हो सकता।
खुदाई खिदमतगार के फैज़ल खान ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी से कार्यकर्ताओं को गढ़ने तथा संभालने की कला सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोहब्बत के रास्ते चलकर इंसानियत को कायम करना समाजवाद का लक्ष्य होना चाहिए तथा उसका मुकाबला पूंजीवाद की हैवानियत से है ,यह जनता को बतलाया जाना चाहिए।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के अध्यक्ष केरल के पूर्व सांसद थम्पन थामस ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी को मजबूत बनाना ही सुरेंद्र मोहन जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि समाजवाद का विचार 1% पूंजीवादियों के मुकाबले में 99% जनता के सशक्तिकरण का विचार है। फासीवाद का मुकाबला समाजवादी ही करते हैं। चुनाव और राजनीति पर पूंजी का कब्जा हो गया है जिसके चलते लोकतंत्र कागजों पर सिमट गया है।
अध्यक्षीय भाषण देते हुए एनडी पंचोली ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास जन संघर्षों का इतिहास है।सरकारे बदलती रहेंगी लेकिन लोकतंत्र को बचाए और बनाए रखने के लिए जन संघर्षों की आवश्यकता सदा बनी रहेगी।
डॉ सुनीलम ने कहा कि किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि संघर्ष के माध्यम से किसी भी सरकार को झुकाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी के कार्यकाल में देश और दुनिया में सीएए-एनआरसी के खिलाफ तथा किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्षों को देखा है जिससे बदलाव की उम्मीद बढ़ी है ।उन्होंने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश और लोकतंत्र बचाने की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंगाल के मतदाताओं ने सांप्रदायिक ताकतों को रोक दिया है, उसी तरह से योगी-मोदी की सांप्रदायिक ,कॉर्पोरेटमुखी एवं तानाशाही पूर्ण राजनीति पर अंकुश लगाने के लिए देश भर के लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले कार्यकर्ताओं को खुलकर समाजवादी पार्टी का सहयोग और समर्थन करना चाहिए तथा खुल कर समाजवादी पार्टी के समर्थन में उतरना चाहिए क्योंकि वही भा ज पा को हरा सकती है।
भा ज पा को हराने के लिए समाजवादीयों को एकजुट होने की आवश्यकता है ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी के विचारों का प्रचार प्रसार आज की महती आवश्यकता है। धन्यवाद ज्ञापन मंजू मोहन जी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मेगसेसे अवार्ड विजेता संदीप पांडेय,पार्षद राकेश कुमार सहित वरिष्ठ समाजवादी कार्यकर्ता और नेता मौजूद थे।

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