दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस आयोजन का विषय था “साहित्य में नर्क”। इस संगोष्ठी के संयोजक प्रो.बजरंग बिहारी तिवारी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल महाविद्यालय ( सांध्य) के प्राचार्य प्रो. नचिकेता सिंह को इस कार्यक्रम का आमंत्रण पत्र भेजकर हिंदी विभाग के शिक्षकों और विद्यार्थियों को भेजने का अनुरोध किया।प्राचार्य महोदय ने हिंदी विभाग के सहायक अध्यापक डॉ. नीरज कुमार मिश्र को विद्यार्थियों को ले जाने का दायित्व सौंपा।जिसके फलस्वरूप हिंदी विभाग तृतीय वर्ष से काजल,चितरंजन,प्रत्यूष,द्वितीय वर्ष से अनिल,प्रिया, काजल,राहुल और अकरम के साथ बी.ए. (प्रोग्राम) हिंदी माइनर प्रथम वर्ष से प्रफुल्ल त्रिपाठी,सुमित सिंह ,श्री और सन्नी आदि विद्यार्थियों को देशबंधु महाविद्यालय के इस आयोजन में शिरकत करने का मौका मिला।इसमें शामिल होने से विद्यार्थियों को साहित्य की अनेक विधाओं में नरक की अवधारणा को समझने में मदद मिली।
इस संगोष्ठी का तीसरा सत्र विद्यार्थियों के लिए ज्यादा उपयोगी रहा। इस सत्र का विषय था ” नर्क की अवधारणा और तुलसीदास”।इसमें कहानीकार राकेश बिहारी ने रामचरित मानस में अलग अलग रूप में आए नर्क के प्रसंगों को बहुत गहनता से सबके सामने रखा। दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में तुलसीदास किसी न किसी रूप से जुड़ें हैं,इसलिए इस सत्र से सभी विद्यार्थियों को तुलसीदास को समझने में बहुत मदद मिली। ऐसी संगोष्ठियों में विद्यार्थियों जाने से उन्हें कुछ नया सीखने की प्रेरणा मिलती है।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संगोष्ठी के संयोजक ने श्यामलाल महाविद्यालय ( सांध्य) के प्राचार्य प्रो. नचिकेता सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने अपने विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भेजा।उनके लिए हम आपके आभारी हैं।आपके शिक्षक और विद्यार्थियों के आने से हमारे आयोजन की सार्थकता प्रतिफलित हुई।