सरकारों के नकेल डालते रहे हैं बिहार से शुरू होने वाले आंदोलन
बिहार में छात्र आंदोलन को मिलना शुरू हुआ विपक्ष का समर्थन
चरण सिंह राजपूत
देश में बिहार ऐसा क्रांतिकारी प्रदेश है जहां से एक से बढ़कर एक आंदोलन हुए। एक से बढ़कर एक बदलाव हुआ। एक से बढ़कर एक तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंका गया। देश के हर बड़े बदलाव का गवाह बने बिहार से अब आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा को लेकर हुए विवाद के चलते शुुरू छात्र आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया है। जहां सत्तारूढ़ पार्टी इसे दबाने में लग गई है वहीं विपक्षी पार्टियों ने छात्र आंदोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया। किसान आंदोलन के बाद अब छात्र आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ बड़ी परेशानी खड़ी करने जा रहा है। यदि इस आंदोलन को इस तरह से हवा मिलती रही और मोदी सरकार ने कोई निर्णायक फैसला न लिया तो यह आंदोलन मोदी सरकार के लिए बड़ी दिक्कत खड़ा कर सकता है। छात्र आंदोलन बिहार से होता हुआ पूर्वांचल तक पहुंच चुका है। वैसे भी छात्र आंदोलन को राष्ट्रव्यापी होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। प्रयागराज में जिस तरह से छात्रों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया है उससे न केवल छात्र संगठनों बल्कि राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में गुस्सा देखा जा रहा है। अब राजनीतिक दलों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। हाजीपुर में राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। सूबे की राजधानी पटना में एक मार्च निकाला गया। उधर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और अरवल में भी आइसा के बंद समर्थक सड़क पर उतरे और सड़क जाम की।
जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझ लेना चाहिए कि छात्र आंदोलन ने कितनी सरकारों को धराशाई किया है। छात्र आंदोलन से शुरू होकर जेपी आंदोलन में तब्दील हुए आंदोलन ने इंदिरा गांधी की सरकार की बलि ले ली थी तो मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद शुरू हुए छात्र आंदोलन ने राम मंदिर का रूप लेकर वीपी सिंह सरकार को गिरा दिया था। छात्र आंदोलन में अक्सर देखा जाता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के जो छात्र संगठन होते हैं वे एक हो जाते हैं।
जब 1974 में आपातकाल के विरोध में छात्र आंदोलन शुरू हुआ था तो तब भी ऐसा ही हुआ था। दरअसल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और समाजवादी छात्रों ने पहली बार एकजुट होकर छात्र संघर्ष समिति का गठन कर आपातकाल का विरोध किया तो उस समय लालू प्रसाद यादव इसके अध्यक्ष चुने गए थे। सुशील कुमार मोदी महासचिव बने थे। इस आंदोलन में नीतीश कुमार ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। तब भी ऐसे ही आपातकाल के विरोध-प्रदर्शन के दौरान बहुत से छात्रों को बेरहमी से पीटा गया था। उनको जेल में बंद कर दिया गया था।
वह आंदोलन नेतृत्व विहीन था तो आपातकाल आंदोलन को नई ऊर्जा के लिया जय प्रकाश नारायण को आमंत्रित किया गया और उसके बाद जय प्रकाश नारायण ने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का नारा दिया और बाद में जेपी इस आंदोलन के नायक बने।
1990 में भी भड़की थी चिंगारी : 1990 में जब वीपी सिंह की सरकार थी तो मंडल आयोग के विरोध में छात्र आंदोलन किया गया था। यह आंदोलन सवर्ण वर्ग के छात्रों द्वारा शुरू किया गया था। इस आंदोलन के होने का कारण वीपी सिंह सरकार का मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा करना था। यह छात्र आंदोलन बहुत ही पहले तो असंगठिक था, लेकिन बाद में राजनीतिक दलों की ओर से इसे संगठित तरीके से आयोजित किया। आन्दोलन का मुख्य मांग जाति पर आरक्षण को हटाने और आर्थिक विचारों के आधार पर आरक्षण का समर्थन करना था। वह बात दूसरी रही कि यह छात्र आंदोलन बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन में तब्दील कर लिया। 2010 में 8 फरवरी को कोचिंग संस्थानों के खिलाफ छात्रों का आक्रोश फूटा पड़ा था। ये आंदोलन एक निजी कोचिंग संस्थान से घटना की शुरूआत हुआ। एक छात्र के सवाल पूछने पर गालियां दी गई। छात्रों के विरोध पर धक्का मुक्की की गई। समय पर कोर्स पूरा नहीं किए जाने से छात्रों की नाराजगी पहले से ही थी। इस घटना ने आग में घी का काम किया। 9 फरवरी को शहर का एक बड़ा हिस्सा छात्रों के आक्रोश का शिकार हो गया। इस आंदोलन में एक छात्र की गोली लगने से मौत हो गई। पटना के गांधी के बाद का इलाका धूधू करके जल रहा था। आंदोलन तीन दिनों तक लगातार चला। तब बिहार सरकार ने कोचिंग विधेयक लाने की बात कही थी।
सभी कोचिंग संचालकों को कानून के दायरे में लाने की बात हुई थी। बाद में कोचिंग कानून भी बना, लेकिन कानून को अमली जामा नहीं पहनाया गया। कोचिंग संचालकों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए निर्देश दिए गए। लगभग करीब ढाई सौ कोचिंग संस्थानों ने रजिस्ट्रेशन कराए। सभी संस्थानों के लिए एक नियमावली तैयार की गई, जिसके तहत सभी कोचिंग संस्थानों को समय पर सिलेबस तैयार कराना था। सभी के लिए सीटों की व्यवस्था निर्धारित की गई, लेकिन एक भी कोचिंग संस्थान मानदंड पर खड़े नहीं उतर रहे हैं।
जो भाजपा नेता सुशील मोदी ने कह रहे हैं कि जब सरकार समस्याओं का निदान कर रही है तो फिर यह आंदोलन क्यों? ये वही सुशील मोदी हैं जो जेपी आंदोलन में छात्रों की ओर से मुख्य रूप से शामिल थे। ये सुशील मोदी छात्र आंदोलन को मैनेज करने में लग गए हैं। सुशील मोदी ने रेलवे और बिहार सरकार से अपील की है जो छात्र पटरी पर आए हैं, वो कोई अपराधी नहीं हैं। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह ने रेलवे से खान सर समेत सभी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग की है।
पप्पू यादव ने सुशील मोदी पर कहा कि बिना कागज के मसला सुलझने का दावा करके छात्रों को उलझाते हैं, छात्रों पर गोली लाठी चलेगी तो हम मरने से पीछे नहीं हटेंगे. आरआरबी-एनटीपीसी के रिजल्ट में हुए धांधली और पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ छात्र संगठन ने आज बिहार बंद बुलाया गया. बिहार बंद के दौरान छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद में इंकलाबी नौजवान सभा और आइसा के साथ साथ आरजेडी समेत कई राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया है।
बिहार बंद में पप्पू यादव की पार्टी जनअधिकार पार्टी और उनके लोग भी उतरे हैं। छात्रों के प्रदर्शन पर जाप अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा, पुलिसिया दमन के खिलाफ यह प्रदर्शन है। रोजगार के नाम पर वोट लेने वाले आज कहां गए ? खान सर ने आधी रात को किसके कहने पर वीडियो रिलीज किया ? क्या खान डर गए कि बिक गए ?
बिहार बंद में पप्पू यादव की पार्टी जनअधिकार पार्टी और उनके लोग भी उतरे हैं। छात्रों के प्रदर्शन पर जाप अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा, पुलिसिया दमन के खिलाफ यह प्रदर्शन है। रोजगार के नाम पर वोट लेने वाले आज कहां गए ? खान सर ने आधी रात को किसके कहने पर वीडियो रिलीज किया ? क्या खान डर गए कि बिक गए ?