सीतामढ़ी जिला प्रशासन को डराने लगे हादसों के आंकड़े

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156 मौत और 198 सड़क दुर्घटना,  अब खुली नींद

सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले की सड़कों पर आवागमन करना होगा, तो पूरी तरह संभल करें। सफर के दौरान कब और कहां पर दुर्घटना के शिकार हो जाएंगे, ये कहना मुश्किल है। दरअसल, यह बातें किसी अनुमान पर नहीं लिखी गई हैं, बल्कि सरकारी रिपोर्ट ही इस बात का गवाह है। प्रशासन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाएं और मौतों का आंकड़ा जान लेंगे, तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे। केंद्र और राज्य सरकार आमजन के सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए सड़कों को चकाचक कर रही है। वहीं दुर्घटना भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं।
जिले में एनएच 77 और 104 के आलावा कई सड़कें चकाचक हैं। इसके चलते काफी रफ्तार से इन सड़कों पर गाड़ियां चलती हैं। तेज गाड़ी से दुर्घटनाएं तो होती ही हैं, लापरवाही, यातायात के नियमों की जानकारी नहीं होने और जानकारी के बावजूद उसे नजरअंदाज करने से दुर्घटनाएं अधिक हो रही है। रिपोर्ट में दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या चौंकाने और हैरान करने वाले हैं। चालू वर्ष में जनवरी से सितंबर तक 196 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 156 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अक्टूबर और नवंबर का आंकड़ा जोड़ दे, तो मृतकों की संख्या दर्जन भर और बढ़ जाएगी।
एक सप्ताह के अंदर दो स्कूलों की बसें दुर्घटनाग्रस्त हुई है, जिसमें दो की मौत और कई के जख्मी होने की घटनाओं के बाद अब जिला प्रशासन की नींद खुली है। यानी यातायात नियमों का पालन करते हुए स्कूली बच्चों को घर से स्कूल तक सुरक्षित यात्रा को लेकर जिला स्तरीय विद्यालय वाहन परिचालन समिति द्वारा निर्देश जारी किया गया है। साथ ही स्कूल वाहनों के लिए निर्धारित मानक का अनुपालन करना अनिवार्य किया गया है। परिवहन अधिकारी भी अब नियमित रूप से स्कूली बसों और अन्य वाहनों की जांच करेंगे।
जिला की टीम सभी स्कूलों में पहुंच कर वाहनों के साथ-साथ बाल परिवहन समिति के गठन की भी जांच करेगी। गौरतलब है कि बिहार वाहन परिचालन विनियमन के तहत स्कूलों में बाल परिवहन समिति का गठन करना है। समिति के अध्यक्ष संबंधित स्कूल के एचएम होंगे। वहीं दो अभिभावक, शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधि, यातायात पुलिस निरीक्षक, एमवीआई, शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि और स्कूल के बस मालिक के एक प्रतिनिधि बतौर सदस्य होंगे। डीएम ने अनुमंडल वार अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है। डीटीओ स्वप्निल ने बताया कि स्कूलों बसों की भी नियमित जांच के लिए टीमों का गठन किया गया है।

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