पटना। बिहार में कहने को तो शराबबंदी है लेकिन यहां पर अवैध शराब के गोरखधंधे ने शासन प्रशासन की नींद उड़ा राखी है।.जिसके चलते ही अब नीतीश सरकार ने एक अजीब फरमान जारी किया है। फरमान भी ऐसा जिसने नीतीश कुमार के विजन पर ही सवाल खड़े कर दिए गए। दरअसल शराब माफियाओं पर अकुंश लगाने में नाकामयाब रहा बिहार का पूरा का पूरा सिस्टम, अब अपनी लुटती इज्जत को बचाने के लिए शिक्षकों की आड़ लेता दिखाई दे रहा है, जिसके चलते ही अब बिहार के शिक्षक शराब माफियाओं से लड़ेंगे। जी हां बिहार पुलिस के फेल होने के बाद अब, बिहार के शिक्षक, बिहार पुलिस के एजेंट बनेंगे। शराब माफिया के खिलाफ ये शिक्षक कैसे लड़ पाएगें ? अगर इस जंजाल में वो उलझे भी तो उनका जो खुद का काम है। यानी देश के भविष्य को संवारने की ज़िम्मेदारी। मतलब की शैक्षणिक कार्य, उसके साथ वो कैसे न्याय करेंगे। क्योंकि वो एक ओर शैक्षणिक कार्यों के मोर्चे पर तैनात हैं। .तो दूसरी ओर बिहार सरकार उन्हें अपनी पुलिस का मुखबिर बनाने पर तुल गई है। सच तो ये है कि नीतीश सरकार के आदेश के मुताबिक शिक्षकों मुखबिर बनकर पुलिस को सूचना देनी है कि शराब कहां से आ रही है, और कौन लेकर आ रहा है, जिसके लिए नीतीश सरकार ने शिक्षकों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। जिस पर शिक्षक शराब से जुड़ी कोई भी जानकारी साक्षा कर सकते हैं, इतना ही नहीं, अगर किसी शिक्षक को शराब माफिया परेशान करता है तो उस सूरत में भी शिक्षक उसी हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब सवाल ये है कि बिहार सरकार को आखिरकार शिक्षकों की मदद लेने के लिए क्यों जरूरत पड़ गई ? तो बिहार की नीतीश सरकार कहती तो है कि वो शराब माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, फिर भी आए दिन जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हो रही है। हाल ही में बिहार के बक्सर जिले में जहरीली शराब पीने से करीब 5 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद प्रशासन पर कई सवाल खड़े हुए थे, क्योंकि जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा यहीं नहीं रुकता है, बिहार में पिछले 2 महीनों से करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अभी पुलिस ने किसी भी शारब माफिया को गिरफ्तार नहीं किया है। कहने को तो पुलिस प्रशासन से छापेमारी के दौरान करीब 1100 लीटर की शराब पकड़ी थी, लेकिन इस संख्या ने पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। शराब बंद होने के बावजूद बिहार में 1100 लीटर की शराब का मिलना ही एक बड़ा सवाल है। जिसे रोकने के लिए नीतीश सरकार ने अब मैदान में अपने शिक्षकों को उतारा है।
तो क्या बिहार में शराब के गोरखधंधे को रोकने को पुलिस का मुखबिर बनेंगे शिक्षक?
द न्यूज 15