
चरण सिंह राजपूत
वैसे तो हर पार्टी सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है पर भाजपा जो करती है उसमें विशुद्ध रूप से स्वार्थ छिपा होता है। जिस भाजपा ने तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर हो रहे किसान आंदोलन को हर तरह से बदनाम करने की कोशिश और फर्जी आंदोलन बताती रही उसी भाजपा ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर ये तीनों कृषि कानून वापस ले लिये। अब जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आने जा रहे हैं तो कांग्रेस के दिग्गज गुलाम नबी आजाद को पदम भुषण पुरस्कार देने का ऐलान कर दिया है। इससे पहले गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गले लगाकर भावुक होकर बड़ा अपनापन दिखाया था। जिन गुलाम नबी आजाद ने भाजपा और आरएसएस के मुख्य मुद्दे जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० हटाने का सबसे अधिक मुखर विरोध किया था, वह आजाद आज कैसे भाजपा के इतने हितैषी हो गये। जो आजाद साम्प्रदायिकता के सबसे अधिक विरोधी हैं उन्हें साम्प्रदायिकता के पक्षधर पदम भूषण कैसे देने लगे ? कहीं ऐसा नहीं तो नहीं है कि भाजपा गुलाम नबी आजाद की गैरत को खरीदकर अपना गुलाम बनाने जा रही हो और धर्मनिरर्पेक्षता की लड़ाई लड़ने वालों की अग्रिम पंक्ति में खड़े रहने वाले आजाद भाजपा के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं। आजाद का कद न केवल कांग्रेस बल्कि देश की राजनीति में बहुत बड़ा माना जाता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिन आज़ाद की जिंदगी जिन ताकतों के खिलाफ लड़ते लड़ते बीत रही है क्या हाईकमान से नाराजगी का फायदा वह उन शक्तियों को उठाने देंगे। ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस ने आज़ाद के लिए स्टैंड न लिया हो। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद जब आज़ाद मोदी सरकार के इस कृत्य का विरोध किया तो पूरी कांग्रेस उनके साथ थी। तो क्या भाजपा गुलाम नबी आज़ाद के बहाने सोनिया गांधी और राहुल गांधी का विरोध करने वाले नेताओं को साधना चाहती है।