तो क्या विधानसभा चाचा शिवपाल को छोड़ देंगे अखिलेश ?

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चरण सिंह 

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कन्नौज से सीट निकालने जा रहे हैं। कन्नौज में मतदान का बढ़ा प्रतिशत दर्शा रहा है कि लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या अखिलेश यादव विधानसभा छोड़ लोकसभा में बैठेंगे। तो क्या अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए मैदान खुला छोड़ना चाहते हैं। ऐसे में तो उत्तर प्रदेश से पार्टी कमजोर होने लगेगी। विधानसभा में पार्टी कमजोर पड़ जाएगी। या फिर अखिलेश यादव के लोकसभा में जाने के बाद चाचा शिवपाल यादव को आगे बढ़ने का मौका देंगे ? क्या विधानसभा अखिलेश यादव चाचा के लिए छोड़ने वाले हैं ?
दरअसल अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री हैं और फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि वह कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीत भी जाएं तो क्या मुख्यमंत्री बन पाएंगे ? वैसे भी उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ को हटाना बहुत मुश्किल है। तो क्या अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव से मुंह मोड़ लिया है ? क्या अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ के लिए खुला मैदान छोड़कर लोकसभा की ओर लपक रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव विधानसभा छोड़ देंगे या फिर कन्नौज सीट जीतकर उससे इस्तीफा दे देंगे और अपने भतीजे तेजप्रताप को उप चुनाव लड़ाएंगे?
बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव सरकार बनने की उम्मीद में कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि सरकार न बनी तो अखिलेश यादव क्या करेंगे और सरकार बन गई तो फिर क्या करेंगे ? मान लिया जाए कि इंडिया गठबंधन की सरकार बन जाती है तो अखिलेश यादव केंद्र में उलझ कर रह जाएंगे। मुलायम सिंह जैसी स्थिति तो अखिलेश यादव की है नहीं कि रक्षा मंत्री बन जाएं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि फिर तो योगी आदित्यनाथ के लिए खुला मैदान  रह जाएगा। क्योंकि मायावती की राजनीति हाशिये पर है और अखिलेश यादव लोकसभा पहुंच जाएंगे। तो क्या अखिलेश यादव पहले जैसी गलती करने जा रहे हैं। गत सालों में जब अखिलेश यादव लोकसभा में गये तो उत्तर प्रदेश में पार्टी लगातार कमजोर हुई। अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव में पहुंचने पर सपा प्रदेश में मजबूत हुई है।
दरअसल समाजवादी को आंदोलन की पार्टी माना जाता रहा है। सपा कार्यकर्ताओं को खुद शिवपाल यादव कोई निर्देश जारी करते हुए भी क्रांतिकारी साथियों संबोधित करते थे। अखिलेश यादव के हाथों में पार्टी की बागडोर आने के बाद समाजवादी पार्टी लगातार कमजोर हुई है। हालांकि इन लोकसभा चुनाव में समीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में यदि १५ सीटें तक भी समाजवादी पार्टी की आ गई तो इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर वह खेल कर देंगे। अखिलेश यादव दबाव का राजनीति करना तो खूब जानते हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को उन्होंने अपने हिसाब से सीटें दी हैं।

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