* बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड की सीमा पर बसे हैं ये छह गांव
* ग्रामीण मुख्यमंत्री से लेकर हर स्तर पर कर चुके हैं फरियाद, नहीं हुआ समस्या का समाधान
* आज भी कई किलोमीटर पैदल चलने को विवश हो रहे ग्रामीण
* पीडब्ल्यूडी व वन विभाग के बीच फाइल लटकी होने के कारण समरेखण तक नहीं पूरा हो पाया है कार्य
पौड़ी। बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड की सीमा पर बसे छह गांवों के नागरिक वर्षो से गांव तक मोटर मार्ग के इंतजार में हैं। गांवों के लिए सात साल पहले मोटर मार्ग स्वीकृत हो चुका है, लेकिन लोक निर्माण विभाग व वन विभाग के बीच फाइल लटकी होने के कारण अब तक समरेखण तक का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। गांव के नागरिक मुख्यमंत्री से लेकर हर स्तर पर फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
देवकण्डई के प्रधान यशपाल सिंह रावत ने बताया कि बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड सीमा पर बसे छह गांवों के नागरिक कई किलोमीटर पैदल चलने को विवश हैं। सड़क की मांग को लेकर काफी दिन से संघषर्रत हैं। यशपाल सिंह रावत का कहना है कि साल 2017 में शासन ने पोखड़ा बैजरों मोटर मार्ग से दीवान का बूंगा, देवकण्डाई, भैंस्वाणा व नौखोली के लिए पांच किलोमीटर मोटर मार्ग स्वीकृत किया। सात वर्ष बीत जाने के पश्चात भी सव्रे के सिवाय जमीनी स्तर पर एक इंच भी काम नहीं हो पाया है। स्वीकृत पांच किलोमीटर में से आधा किलोमीटर मार्ग वन भूमि के तहत आने से इसमे अड़चन उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की स्वीकृति को लेकर गांव के नागरिक लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी किसी तरह की कोई कार्यवाही करने को कतई तैयार नहीं हैं।
यशपाल सिंह रावत ने बताया कि क्वीराली, छनियाखाल, दीवान का बूंगा, देवकण्डाई, भैंस्वाड़ा, पौण्ड, हनारखोली व नौखोली गांवों के नागरिक मोटर मार्ग के लिए लगातार आवाज बुलंद करने में लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि आज भी ग्रामीण पांच किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर अपने गांव जाने को विवश हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार गांव में किसी के बीमार पड़ने अथवा प्रसव की अवस्था में ग्रामीणों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो मरीजों ने सड़क तक पहुंचने से पूर्व ही दम तोड़ दिया था। ग्रामीणों का मानना है कि मोटर मार्ग बन जाने से बैजरों से कोटद्वार पहुंचने में 40 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी। बैजरों, थलीसैंण व बीरोंखाल पहुंचने में गांव के नागरिकों को सुविधा मिल सके।