बिहार की सियासत में ‘सेमीफाइनल’,लालू-नीतीश के बीच आखिरी जंग की शुरुआत!

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पटना से दीपक कुमार तिवारी की रिपोर्ट 

बिहार की सियासत में एक नया मोड़ सामने आ रहा है। एक ओर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, जिनकी जदयू सरकार मजबूती से खड़ी है, तो दूसरी ओर हैं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, जिनके लिए गया जिले का बेलागंज उपचुनाव एक बड़ा संदेश देने का अवसर है। दोनों नेता यहां सिर्फ एक सीट के लिए नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक समीकरण को बदलने की रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं।

बेलागंज का यह चुनाव सामान्य उपचुनाव नहीं है; यह 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। बेलागंज में लालू यादव की पार्टी लंबे समय से अपनी पकड़ बनाए हुए थी, लेकिन इस बार जदयू ने यादव जाति से मनोरमा देवी को टिकट देकर एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को चुनौती दी है। लालू यादव का यह उपचुनाव में खुद प्रचार में उतरना उनके एमवाई समीकरण को बनाए रखने की कोशिश का एक हिस्सा है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का बिखराव राजद के लिए चुनौती बन सकता है, खासकर जब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और जनसुराज पार्टी ने भी मुस्लिम वोट बैंक पर दावा किया है।

इस मुकाबले का दूसरा केंद्र बिंदु रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र है, जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोकस कुशवाहा मतदाताओं पर है। पिछले चुनाव में कुशवाहा मतों का एक बड़ा हिस्सा महागठबंधन के पक्ष में गया था, और इस बार नीतीश कुमार की कोशिश है कि यह मत भाजपा की ओर लौटे। अगर नीतीश इस उपचुनाव में सफलता हासिल करते हैं, तो वे यह संदेश देना चाहेंगे कि एनडीए गठबंधन की पकड़ अभी भी मजबूत है।

क्या यह ‘सेमीफाइनल’ 2025 के ‘कोल्ड वॉर’ की शुरुआत है?

लालू और नीतीश दोनों ही इस उपचुनाव को 2025 विधानसभा चुनावों के लिए जनमत का संकेत मान रहे हैं। ऐसे में, इस उपचुनाव का नतीजा बिहार की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है। अब सवाल यह है कि क्या यह मुकाबला आगामी चुनावों के लिए एक ‘कोल्ड वॉर’ की भूमिका तैयार करेगा?

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