Bihar Politics : बिहार के नेता के रूप में उभर रहे सम्राट चौधरी 

लोगों को भा रहा गुंडागर्दी और माफियागिरी के खिलाफ उप मुख्यमंत्री का अभियान 

लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा 

छाया हुआ है डिप्टी सीएम का राजनीति छोड़ दूंगा पर गुंडों और माफियाओं को नहीं बख्शुंगा वाला बयान 

नई दिल्ली/पटना। लोकसभा चुनाव में बिहार में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी लगातार लोकप्रियता बटोर रहे हैं। लोकप्रियता बटोरने का बड़ा कारण उनका गुंडों और माफियाओं को बेबाक होकर ललकारना है। राजद मुखिया लालू प्रसाद भले ही अपने बेटे तेजस्वी यादव के लिए पप्पू यादव को राजनीतिक खतरा मान रहे हों पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जिस अंदाज में काम कर रहे हैं उसको देखकर कहा जा सकता है कि सम्राट चौधरी बिहार के नेता के रूप में उभर रहे हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने माफियाओं को चेतावनी दे डाली है। सम्राट चौधरी ने साफ-साफ शब्दों में चेता दिया है कि बिहार में गुंडागर्दी नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राजनीति छोड़ दूंगा लेकिन गुंडा-माफियाओं को खत्म करके ही मानूंगा। बालू माफिया के खिलाफ सम्राट चौधरी की भाषा की तुलना गृह अमित शाह की भाषा से की जा रही है।
लालू प्रसाद द्वारा किये गए राज को गुंडा राज की संज्ञा देकर सम्राट चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राजनीति छोड़नी पसंद करेंगे पर गुंडों और माफियाओं को सबक सिखाकर ही रहेंगे।
गुंडागर्दी के विरोध में वह लगातार लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को निशाना बना रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हों पर फ्रंट पर सम्राट चौधरी हैं। चाहे प्रधानमंत्री की बिहार में होने वाली रैलियां हों या फिर दिल्ली में होने वाले भाजपा के कार्यक्रम हर जगह सम्राट चौधरी नजर आते हैं। भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व भी सम्राट चौधरी पर पूरा विश्वास कर रहा है। सम्राट चौधरी को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनते ही बिहार के समीकरण बदलने शुरू हो गये थे। बताया जा रहा है कि  यह सम्राट चौधरी की सधी हुई चालें ही थीं कि नीतीश कुमार आज एनडीए का हिस्सा हैं और बिहार में एनडीए 40 में 40 सीटें जीतने का दावा कर रहा है।
सम्राट चौधरी बिहार में बड़ी आक्रामक राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है कि बिहार में आने वाले समय में अपने दम पर सरकार बनानी है। कहने को तो विजय सिन्हा भी उप मुख्यमंत्री हैं पर बिहार में यदि कोई व्यक्ति सत्ता में छाया हुआ है वह सम्राट चौधरी हैं। सम्राट चौधरी की आक्रामक भाषा बिहार में बहुत पसंद की जा रही है। यह माना जा रहा है कि बिहार से गुंडागर्दी सम्राट चौधरी ही खत्म कर सकते हैं।
दरअसल जब सम्राट चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बताया था उस समय नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बिहार को चला रहे थे। लग नहीं रहा था कि यह गठबंधन टूटेगा। ऐसा लग रहा था कि न केवल लोकसभा बल्कि विधानसभा चुनाव भी राजद और जदयू मिलकर लडेंगे। सम्राट चौधरी के सधे हुए नेतृत्व के सामने लालू प्रसाद की एक न चली। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के खिलाफ सम्राट चौधरी खुलकर बोलते है। यह वजह है कि बिहार में एक बड़ा तबका बीजेपी का समर्थक हो गया है।
53 साल के सम्राट चौधरी की अपनी राजनीतिक विरासत बहुत समृद्ध हैं। वो शकुनी चौधरी के बेटे हैं।शकुनी चौधरी का नाम कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं में शुमार है और वो खुद भी विधायक और सांसद रहे हैं। सम्राट चौधरी का प्रवेश सक्रिय राजनीति में 1990 में हुआ। 1999 में राबड़ी देवी सरकार में वह कृषि मंत्री बने. लेकिन उनकी कम उम्र को लेकर विवाद खड़ा हुआ। साल 2000 और 2010 में वो परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। साल 2014 में वो नगर विकास विभाग के मंत्री रहे। साल 2018 में वो राजद छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री थे।

आरजेडी से हुई थी राजनीतिक शुरुआत

सम्राट चौधरी ने अपनी राजनीतिक पारी राजद से शुरू की थी। 1997 में राजद के गठन के समय जो ड्राफ़्ट तैयार हुआ। उसकी तीन सदस्यीय कमेटी में से एक सदस्य चितरंजन गगन थे।  परबत्ता विधानसभा से सम्राट चौधरी विधायक रह चुके है। सम्राट चौधरी अपनी राजनैतिक विरासत से इतर काम करने वाले और जनप्रिय है। बहुत अच्छा भाषण देते हैं और समाज में उनकी पकड़ बहुत अच्छी है।

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