Sahara India : बिकने लगी है सहारा की सम्पत्ति, सहारा अस्पताल से हुई शुरुआत

 

क्या सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा को कब्जाने का खेल शुरू हो गया है ? क्या सहारा की सम्पत्ति बिकने लगी है ? क्या सहारा ग्रुप की सारी सम्पत्ति बेच दी जाएगी ? सहारा की कौन कौन से सम्पत्ति बिकने वाली है ?  आइये आपको बताते हैं कि सहारा का अब क्या होने वाला है ?

 

यदि सुब्रत रॉय की आत्मा कहीं से देख रही होगी तो। उनकी समझ में आ जाएगा कि जिन लोगों ने लिए उन्होंने अपने कर्मचारियों और जमाकर्ताओं के साथ निवेशकों को ठगा वे ही उनके साम्राज्य को समाप्त करने में लग गए हैं। जी हां मैं बात कर रही हूं सहारा की संपत्ति की। सहारा की सम्पत्ति बिकनी शुरू हो चुकी है। सबसे पहले सहारा अस्पताल का नंबर आया है। शून्य से शिखर तक का सफर तय करने वाले सुब्रत रॉय के निधन के तुरंत बाद सहारा अस्पताल बेक दिया गया है।

जानकारी मिल रही है कि प्राइवेट हेल्थ केयर प्रोवाइडर मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट लिमिटेड ने सहारा हॉस्पिटल को खरीद लिया है। मैक्स के 8 दिसंबर को लगभग 125 करोड़ रुपये में स्टारलिट मेडिकल सेंटर प्राइवेट लिमिटेड की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के खरीद समझौते पर साइन करने बात सामने आई है। अब मैक्स के पास इस हॉस्पिटल का मालिकाना हक हो जाएगा।

 

ऐसे में प्रश्न उठता है कि सुब्रत रॉय के निधन के बाद ऐसा कौन व्यक्ति है जो सहारा की सम्पत्ति बेचने में लग गया है ? किस व्यक्ति के पास सहारा की सम्पत्ति बेचने का अधिकार है ? निवेशकों को भुगतान किये बिना सहारा की सम्पत्ति कैसे बिक रही है ?

सहारा की संपत्ति सेबी की सहमति से बेची जा रही है ?क्या एक-एक कर सहारा की सारी संपत्ति बेच दी जाएगी ? यदि ऐसे ही सहारा की संपत्ति बिकती रही तो फिर सहारा निवेशकों का भुगतान कैसे होगा ? ऐसे में बड़ा प्रश्न यह भी है कि भुगतान के लिए तो सहारा की एक पैसे की संपत्ति नीलाम तो नहीं हुई थी पर बिकने कैसे लगी ? दरअसल सुब्रत राय कहते रहे हैं कि सहारा में कोई भी संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की नहीं है।सहारा की संपत्ति सहारा के कर्मियों की है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि सहारा की किसी संपत्ति व्यक्ति विशेष की नहीं है तो फिर यह कौन व्यक्ति है जो इसे बेक रहा है ?इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सहारा में जहां बड़े स्तर पर कर्मचारियों का बकाया भुगतान है वहीं दूसरी ओर निवेशक अपने भुगतान के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा, ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार, विश्व भारतीय जन सेवा संस्थान, अखिल भारतीय जन कल्याण मंच, रंग दे बसंती संगठन भुगतान के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। ऑल इंडिया संघर्ष न्याय मोर्चा भुगतान के लिए २७ दिसम्बर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा प्रोटेस्ट करने जा रहा है। विश्व जन सेवा संस्थान इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने जा रहा है। ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार भारत यात्रा पर है तो जकार्ता पीड़ितों की आवाज संगठन जागरूकता अभियान चलाये हुए है।

दरअसल 2016 में खबर सामने आ थी कि सहारा समूह 14 राज्यों में अपनी 47,00 एकड़ जमीन बेचने जा रहा था। इस जमीन को एचडीएफसी रियल्टी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की ओर से ब्रिकी के लिए रखा गया था। इस जमीन से सहारा को 65,00 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद जताई जा रही थी।

दरअसल सहारा के पास जहां बड़े स्तर पर बिल्डिंग है वही 33,633 एकड़ जमीन भी है। इसमें लोनावला के नजदीक एम्बे वैली की 10,600 एकड़ जमीन भी शामिल है। इसके अलावा सहारा के पास 1,000 जमीन लखनऊ में भी है जहां उसका मुख्यालय है। 2016  में जब सुब्रतो रॉय और समूह के निदेशक अशोक रॉय चौधरी को सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह की पैरोल दी थी। तब कोर्ट ने कहा था कि सहारा बैंक गारंटी के लिए अपनी संपत्ति बेचकर 5000 करोड़ रुपये जुटा सकता है तथा 5,000 करोड़ रुपये और जुटाकर सुब्रत रॉय को जमानत मिल सकती है।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एचडीएफसी रियल्टी और एसबीआई कैपिटल को सहारा की 60 फीसद संपत्तियों को नीलाम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।नीलामकर्ताओं को उम्मीद थी  कि वे इस नीलामी से 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त कर लेंगे।  लेकिन सुब्रत राय ने न तो किसी जगह की कोई जमीन बिकने दी और न ही नीलाम होने दी।

उस समय एक अख़बार में खबर छपी थी कि सहारा समूह के पास मध्य प्रदेश के उज्जैन समेत राजस्थान के अजमेर, यूपी के अलीगढ़, बहराइच, बरेली, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, नोएडा, असम के गुवाहटी, तमिलनाडु के सालेम तथा गुजरात के पोरबंदर और बडौदा जैसी जगहों पर जमीन है। मुबंई के वर्सोवा में तो सहारा के पास अलग से 106 एकड़ जमीन है। तीन वर्ष पहले प्लॉट की कीमत 19300 करोड़ रुपये थी। हालांकि बाद में पता चला कि यह दलदली भूमि है जिस पर तटीय वनस्पतियां रहती हैं जिसे विकसित नहीं किया जा सकता।

  • Related Posts

     1200 करोड़ का चुनावी चंदा देने वाली मेघा इंजीनियरिंग पर सीबीआई ने दर्ज किया केस 

    द न्यूज 15 ब्यूरो  नई दिल्ली। चुनावी बॉन्‍ड योजना में सबसे ज्यादा डोनेशन देने वालों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर रही मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अफसरों पर…

    अब भारत में भी जल्द खेती करेंगे रोबोट

    सुभाष चंद्र कुमार  आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग माना जा रहा है। पिछले कुछ समय से AI और रोबोटिक्स की खूब चर्चा हो रही है। अब इंसानों के…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 0 views
    “अजमेर से इंस्टाग्राम तक: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल”

    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 0 views
    शब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं

    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 0 views
    नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के ऐतिहासिक सभागार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी स्वर्ण जयंती कांफ्रेंस

    23 अप्रैल 2025 से मैसर्स बीएचईएल सेक्टर – 16 नोएडा पर सीटू के बैनर तले कर्मचारी शुरू करेंगे धरना-प्रदर्शन

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 0 views
    23 अप्रैल 2025 से मैसर्स बीएचईएल सेक्टर – 16 नोएडा पर सीटू के बैनर तले कर्मचारी शुरू करेंगे धरना-प्रदर्शन

    जीतन राम मांझी ने किया चंद्रशेखर पर पलटवार, भारत आर्थिक रूप से आ गया है सातवें स्थान पर 

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 2 views
    जीतन राम मांझी ने किया चंद्रशेखर पर पलटवार, भारत आर्थिक रूप से आ गया है सातवें स्थान पर 

    गया में ‘नीले ड्रम’ वाली साजिश का खुलासा

    • By TN15
    • April 22, 2025
    • 2 views
    गया में ‘नीले ड्रम’ वाली साजिश का खुलासा