बिना गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहा रूस, छेड़ रहा है हाइब्रिड वारफेयर

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हाइब्रिड वारफेयर
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द न्यूज 15 

कीव। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत पश्चिमी देशों के कई नेता लगातार रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले की चेतावनी दे रहे हैं। इस बीच रूस का कहना है कि उसने सेना की कुछ टुकड़ियों को यूक्रेन की सीमा से वापस बुला लिया है। हालांकि इसके बाद भी वह बिना कोई गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर रहा है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय और कई बैंकों की वेबसाइट्स ठप हो गई हैं। यूक्रेन का मानना है कि इसके पीछे रूस का ही हाथ है। इसकी वजह यह है कि 2014 में भी उसने ऐसा ही किया था। यूक्रेन के कई लोगों का कहना है कि रूस की ओर से उस पर बिना गोली चलाए ही अटैक शुरू हो चुका है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ रूस ने तीन तरफ से सैनिकों को तैनात कर रखा है तो वहीं दूसरी ओर उसे अस्थिर करने की कोशिश में जुटा है। साइबर अटैक, आर्थिक उथलपुथल और बम हमलों के फर्जी धमकियों के जरिए रूस की ओर से यूक्रेन को अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही हैं। रूस की सेनाओं और उसके सहयोगियों ने पहले ही यूक्रेन पर पकड़ मजबूत कर रखी है। यूक्रेन के लोगों का कहना है कि रूस ने हाइब्रिड वारफेयर छेड़ रखा है ताकि बिना लड़े ही कमजोर किया जा सके। यही नहीं अमेरिका और ब्रिटेन का तो यह भी कहना है कि रूस तख्तापलट की भी कोशिश कर रहा है ताकि अपनी मुखौटा सरकार बना सके।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की के सुरक्षा सलाहकार ओलेक्सी डानिलोव ने कहा कि रूस का पहला टास्क यह है कि हमें अंदर से ही कमजोर किया जाए। दरअसल रूस ने 2014 में क्रीमिया समेत यूक्रेन के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से ही रूस अलग-अलग रणनीति अपनाता रहा है ताकि यूक्रेन को कमजोर किया जा सके। इसमें से एक रणनीति यह है कि पूर्वी यूक्रेन में रूस ने मजबूत पकड़ बनाई है और अलगाववाद को हवा देने के प्रयास लगातार किए हैं। ये अलगाववादी लगातार यूक्रेन की सेना पर अटैक करते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस अशांति की आड़ में रूस की सेना यूक्रेन में घुस सकती है। ऐसे ही उसने 2008 में जॉर्जिया में किया था। रूस की ओर से 2014 से ही ऐसे प्रयास किए जाते रहे हैं।
यूक्रेन पूर्वी यूरोप के गरीब देशों में से एक है, जिसकी इकॉनमी काफी कमजोर है। रूस की रणनीति है कि सेना को तैनात कर तनाव बनाए रखा जाए ताकि दूसरे देशों के निवेशक वहां से निकलने लगें और यूक्रेन की इकॉनमी ही ठप हो जाए। दरअसल यूक्रेन ने अपने कारोबार को रूस की बजाय यूरोप के साथ बढ़ा लिया है। इसके चलते भी वह नाराज है।
कैस यूक्रेन की इकॉनमी को कमजोर कर रहा रूस : यही नहीं रूस ने हाल ही में ब्लैक सी पर सैन्य अभ्यास किया था। रूसी नौसेना के बेड़े यहां तैनात होने के चलते यूक्रेन के बंदरगाहों पर व्यापारी जहाजों की आवाजाही प्रभावित होती है। यह भी यूक्रेन की इकॉनमी को कमजोर करने और उसे घेरने की एक रणनीति है। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इसे रूस का हाइब्रिड वारफेयर करार दिया है।
क्या है हाइब्रिड वारफेयर की रणनीति : किसी भी दुश्मन देश को अंदर से कमजोर करने, साइबर अटैक, इकॉनमी पर संकट खड़ा करने जैसी रणनीतियों को हाइब्रिड वारफेयर में शामिल किया जा सकता है। हाइब्रिड वारफेयर का अर्थ मिक्स्ड ऑफ वारफेयर से है, जिसमें किसी भी रणनीति को कभी भी आजमाया जा सकता है। दूसरे देश की राजनीतिक, आर्थिक स्थिरता को कमजोर करना। सामाजिक उपद्रव कराने जैसी रणनीतियों को इसमें शामिल किया जाता है। पहली बार फ्रैंक जी हॉफमैन ने हाइब्रिड वारफेयर टर्म का इस्तेमाल अपने एक रिसर्च पेपर में किया था।

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