15 दिसंबर को राज्यों में मनाया जाएगा ‘नदी उत्सव’

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15 दिसंबर को राज्यों में
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नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर नदी के पास एक ‘नदी उत्सव’ की अपील को देखते हुए, कई राज्य केंद्र की मदद से लोगों को नदियों के करीब लाने के उद्देश्य से 15 दिसंबर को नदी तटों पर एक कार्यक्रम की योजना बना रहे हैं। यह एक तरह से 4 नवंबर को गंगा नदी की ‘राष्ट्रीय नदी’ के रूप में घोषणा की वर्षगांठ को चिह्न्ति करने के लिए हर साल आयोजित गंगा उत्सव की निरंतरता और परिणति है। इस वर्ष का गंगा उत्सव 1 नवंबर से 3 नवंबर तक आयोजित किया गया था।

दरअसल नमामि गंगे का ‘गंगा उत्सव 2021-द रिवर फेस्टिवल’ सिर्फ गंगा नदी के किनारे ही नहीं बल्कि पूरे देश में सभी नदियों के किनारे मनाया जाना था। प्रशासनिक कारणों से इसमें देरी हुई, इसलिए अब नदी उत्सव 15 दिसंबर को होगा।

नमामि गंगे के रीयल टाइम इंफॉर्मेशन स्पेशलिस्ट पीयूष गुप्ता ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, लोगों को नदियों से जोड़ने का विचार है। अधिकांश शहरी क्षेत्रों में, लोगों ने नदियों से मुंह मोड़ लिया है, वे अपने शहर की नदियों को लगभग भूल गए हैं।

उन्होंने कहा कि यह त्योहार लोगों की भागीदारी के बारे में है, लोगों को फिर से नदियों से जोड़ता है।

जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस साल समारोह आजादी के 75 साल और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के चल रहे समारोहों का हिस्सा होगा।

मोदी ने 26 सितंबर को अपने ‘मन की बात’ संबोधन के दौरान अपील की थी, “हर नदी के पास रहने वाले सभी लोगों से, देशवासियों से मैं आग्रह करूंगा कि भारत में हर कोने में साल में कम से कम एक बार नदी उत्सव मनाया जाना चाहिए।”

मासिक रेडियो वार्ता के 81 वें एपिसोड को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा था कि हम इतने दिनों को चिह्न्ति करते हैं, लेकिन एक और दिन है जिसे हमें मनाना चाहिए। यह ‘विश्व नदी दिवस’ है।

भारत भर में पारंपरिक रूप से नदी के किनारे मेलों का आयोजन किया जाता रहा है और घाट (तटबंध) नियमित गतिविधियों का गवाह बनते हैं। इसी तरह, 15 दिसंबर के उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, वृक्षारोपण और घाट की सफाई गतिविधियों सहित अन्य शामिल होंगे।

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