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कोरोना काल में 21 फीसदी बढ़ा रिलायंस इंडस्ट्रीज का मुनाफा, पर CSR खर्च 1.5 फीसद ही बढ़ाया

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नेशनल सीएसआर पोर्टल के अनुसार कोरोना काल में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत किए जाने वाले खर्च में 64% तक की कमी देखने को मिली है।

द न्यूज 15 
मुंबई। कोरोना काल देश में सभी के लिए मुसीबत लेकर आया। कोरोना की वजह से देश में उद्योग धंधों को भी जबरदस्त धक्का लगा, जिसके कारण देश में कंपनियों के द्वारा की जाने वाली कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
केंद्र सरकार के नेशनल सीएसआर पोर्टल के अनुसार कोरोना काल में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत किए जाने वाले खर्च में 64% तक की कमी देखने को मिली है। 2019-20 में सीएसआर का आंकड़ा 24,689 करोड़ रुपए था जो 2020-21 में घटकर 8,828 करोड़ रुपए रह गया। इस दौरान भारतीय कॉरपोरेट्स द्वारा सीएसआर गतिविधियों की संख्या भी 93% घटकर 1619 रह गई। जिनकी संख्या पिछले साल करीब 22,531 थी।
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत भारत में सीएसआर का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनकी नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या कारोबार में कुल आय हजार करोड़ रुपए से अधिक या फिर शुद्ध मुनाफा 5 करोड रुपए से अधिक हो। ऊपर दिए गए पैमानों पर खरी उतरने वाली सभी कंपनियों को अपनी पिछले 3 वर्ष का कुल शुद्ध मुनाफे के औसत का 2% हिस्सा सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है। ‘यहां जिस स्टेडियम में मैच खेलना चाहते थे, उसे तोड़ दिया’- हिजाब विवाद पर राकेश टिकैत से पूछा गया सवाल तो मिला ये जवाब
रिलायंस ने मुनाफे के मुकाबले सीएसआर में की कम बढ़ोतरी : रिलायंस इंडस्ट्रीज को 2020- 2021 में 53,739 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। जबकि 2019 -2020 में 44,324 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। 2019 -2020 में कंपनी ने सीएसआर गतिविधियों पर 908 करोड़ रुपए खर्च किए थे जबकि कोरोना काल में मुनाफा 21% बढ़ने के बावजूद सीएसआर गतिविधियों पर 922 करोड़ रुपए खर्च किए।
कोरोना काल में सरकारी कंपनी तेल और नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) की सीएसआर गतिविधियों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 2019-20 में सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करने के मामले में ओएनजीसी 582 करोड़ रुपए के साथ तीसरे स्थान पर था। जबकि 2020-21 सीएसआर गतिविधियों में ओएनजीसी टॉप 10 से भी बाहर हो गया।
कोरोना काल में सीएसआर पर सबसे अधिक खर्च करने वाली कंपनियां : 2020-21 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 922 करोड़ रुपए, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज 674 करोड़ रुपए, इंफोसिस लिमिटेड ने 361.32 करोड़ रुपए, आईटीसी लिमिटेड ने 335.43 करोड़ रुपए, विप्रो लिमिटेड ने 246.99 करोड़ रुपए, टाटा स्टील लिमिटेड 221.98 करोड़ रुपए, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड 214.04 करोड़ रुपए, एसीएल टेक्नोलॉजी लिमिटेड 194.52 करोड़ रुपए, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड 168.44 करोड़ रुपए, कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस इंडिया लिमिटेड 168.14 करोड़ रुपए, खर्च किए।