राम नरेश
पटना। राज्य की राजनीति में एक बार फिर रफ्तार पकड़ चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशासन की डोर को मजबूत करने में जुट गए हैं। इस प्रयास में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाल फीता शाही पर नियंत्रण करने लिए पुराने जमाने में अपनाए जाने वाले काम को शुरू कर दिया है।
राज्य में बढ़ते अपराध और ताश के पत्तों की तरह बिखरते पुल को जबसे विपक्ष के नेताओं ने चुनावी मुद्दा बना डाला है, तभी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ गई है। यही वजह है कि अफसरशाही को फिर से लाइन पर लाने के लिए नीतीश ने ‘उपाय चतुष्ठय’ यानी साम,दाम,दंड और भेद का सहारा लेने लगे हैं।
विपक्ष के हमलावर अंदाज के विरुद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुरातन काल में अपनाए जाने वाले ‘उपाय चतुष्ठय’ का सहारा लिया है। कौटिल्य विश्व के पहले विद्वान थे जिन्होंने उपाय चतुष्ठय यानी साम,दंड और भेद की नीति का इस्तेमाल राज्य को समृद्ध करने में किया। इन दिनों राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुछ इसी अंदाज में दिखने लगे हैं।
नीतीश कुमार ने इसी कड़ी में पुल गिरने को लेकर समीक्षा बैठक की। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी सख्त नजर आए। अधिकारियों से सख्ती से पेश आते ही उन्होंने सीधा निर्देश दिया कि ग्रामीण कार्य विभाग शीघ्र मेंटेनेंस नीति बनाए। पथ निर्माण विभाग ने मेंटेनेंस नीति पहले बना ली है ।
पथ निर्माण के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत,ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह को सख्ती से निर्देश देते कहा कि पुलों के रख रखाव के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कर सभी पुलों का नियमित निरीक्षण भी सुनिश्चित कराएं।इसके बाद थोड़ा साम भाव में आते कहा कि साथ ही आवागमन को ले कर नए पुल या पथ की जरूरत है तो उसे भी प्राथमिकता के साथ बनाएं।
लगातार पुल गिरने से चिंतित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुल गिरने के भेद जानने को ऑडिट टीम बनाने की घोषणा की है। ताकि पुल के गिरने का कारण जान कर एहतियात बरता जाए और दोषियों को दंडित किया जाए।
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूमि सर्वेक्षण मामले पर चीफ सेक्रेटरी ब्रजेश मल्होत्रा के साथ सख्ती से पेश आए और कहा कि 2025 तक हर हाल में भूमि सर्वेक्षण का कार्य हो जाना चाहिए।