मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले सप्ताह आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा कार्यक्रम के दौरान प्रमुख उधार दरों और समायोजन का रुख बनाए रख सकता है। यह बात विशेषज्ञों ने कही। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6-8 दिसंबर के बीच होगी।
नाइट फ्रैंक इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय निदेशक (अनुसंधान) रजनी सिन्हा ने कहा, “ऐसी उम्मीदें थीं कि दिसंबर एमपीसी की बैठक में आरबीआई रेपो और रिवर्स रेपो दर के बीच फासले को कम करने के लिए रिवर्स रेपो दर में वृद्धि करेगा। हालांकि, कोविड के नए स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’ ने वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से एक में धकेल दिया है, जिस कारण अनिश्चितता और घबराहट की स्थिति है।”
“फेड की मौद्रिक नीति संकेत/कार्रवाई के लिए भारतीय और वैश्विक वित्तीय बाजारों की किसी भी घुटने की प्रतिक्रिया की अनिश्चितता भी जोड़ा गया है।”
सिन्हा ने कहा कि ऐसे परिदृश्य में, आरबीआई अपनी आगामी बैठक में दरों को रोक कर रख सकता है।
सिन्हा ने कहा, “यूं तो अधिकांश आर्थिक संकेतक पूर्व-कोविड के स्तर को पार कर चुके हैं, अर्थव्यवस्था में अभी भी बहुत कमी है। इसलिए आरबीआई फरवरी 2022 में अगली एमपीसी बैठक तक इंतजार करने और देखने का फैसला कर सकता है।”
इस समय केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो दर या अल्पकालिक उधार दर को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा है। इसके अलावा, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया था।
कोटक सिक्योरिटीज ने कहा, “कोविड के नए स्वरूप से उत्पन्न अनिश्चितता को देखते हुए हम आगामी दिसंबर की बैठक के बजाय फरवरी में आरबीआई एमपीसी की बैठक में रिवर्स रेपो दर में वृद्धि के लिए आह्वान करते रहेंगे।”
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत था, जो सितंबर में 4.35 प्रतिशत था। यहां तक कि साल-दर-साल आधार पर भी, अक्टूबर 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर 2020 में दर्ज 7.61 प्रतिशत से कम थी।