मशहूर हो गये जो कभी काबिल ना थे और मंज़िल उनको मिली जो कभी दौड़ में शामिल ही ना थे। ये लाइन राजस्थान की नई सरकार पर एक दम सटीक बैठती है। राजस्थान में एक से बढ़कर एक धुरंधर अपने आपको मुख्यमंत्री बनते देख रहे थे, लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने इनकी एक न चली ,जिसे वह अपने लफ्ज़ों में बयान तक नहीं कर पाए, लेकिन उनके चेहरों ने साफ-साफ दर्दो ग़म बयां कर दिया।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गजेंद्र सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे का एक वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत से हाथ मिलाती नजर आ रहीं हैं तो वहीं दोनों के बीच में बैठे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं अशोक गहलोत और गजेंद्र शेखावत की राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है। दोनों एक दूसरे पर तीखे हमले करते हुए काफी देखे गए हैं। गजेंद्र शेखावत, अशोक गहलोत पर मानहानि का केस भी कर चुके हैं, लेकिन इस तस्वीर को देख कर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा कि दोनों के बीच कोई रंजिश है। ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ सही हो गया है… वहीं राजे के गहलोत से हाथ मिलाना तो औपचारिकता थी। अगर दूसरे शब्दों में कहे तो दोनों सोच रहे होंगे कि न मेरे नसीब में कुर्सी आई न तुम्हारे, आओ इसी बात पर हाथ मिलाए। खैर ये मज़ाक में कही गई बात है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री की घोषणा के पहले ऐसी बाते सामने आ रही थी कि अगर वसुंधरा राजे को बीजेपी मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो वह गहलोत के साथ अपने समर्थन विधायकों को लेकर सरकार बनाने का दावा कर सकती हैं। दूसरों शब्दों में कहें तो वसुंधरा बीजेपी से बग़ावत कर सकती हैं। खैर ऐसा हुआ नहीं, बीजेपी आलाकमान ने दिल्ली में बैठे हुए सब मैनेज कर तो कर लिया। साथ ही भजन लाल शर्मा का ऐलान भी वसुंधरा राजे से ही कराया ताकि ये मैसेज जाए कि यह सब वसुंधरा राजे की मर्जी ही सब हो रहा है।
राजस्थान के नए मुख्यमंत्री का ऐलान और शपथ ग्रहण के बीच जितनी भी वसुंधरा राजे की तस्वीरें सामने आईं। उन सभी में देखा जा सकता है कि वसुंधरा राजे के चेहरे पर मायूसी खामाखा नहीं थी। राजस्थान में बीजेपी की प्रचंड जीत के बात वसुंधरा राजे इकलौती मुख्यमंत्री पद की हक़दार थीं, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने कुछ और ही सोच रखा था। मुख्यमंत्री की रेस में अव्वल दर्जे पर वसुंधरा राजे, बाबा बालक नाथ, दीया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी समेत कई लोग शामिल थे, लेकिन इस किन्तु परंतु के बीच 12 दिसंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए भजन लाल शर्मा का ऐलान हो गया। इस बीच वसुंधरा राजे की आंखों से बस आसूं ही नहीं निकले, लेकिन शिकन उनके चेहरे पर साफ देखी गई।
फिलहाल भजन लाल शर्मा ने 15 दिसंबर को अपने जन्मदिन के मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। साथ ही दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। बीजेपी ने पहली बार के विधायक बने भजन लाल शर्मा के हाथों राजस्थान की कमान सौंप दी है, लेकिन भजन लाल अपनी जिम्मेदारी पर कितने खरे उतरते हैं ये तो आने वाला समय बताएगा। इस बीच एक सवाल सभी के मन में कूद रहा है कि वसुंधरा राजे को पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी या वसुंधरा अपना रास्ता खुद चुनने वाली हैं।