नई दिल्ली/पटना। हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार में एक बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दलितों के लिए बनाए गए विशेष फंड, यानी Scheduled Caste Sub-Plan (SCSP) के पैसे, दलित समुदाय तक नहीं पहुंच रहे हैं।
यह एक गंभीर आरोप है, क्योंकि यह न केवल दलित समुदाय के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि बिहार की राजनीति और आगामी विधानसभा चुनावों पर भी इसका बड़ा असर पड़ सकता है। वैसे भी गृह मंत्री अमित शाह के राज्य सभा में अम्बेडकर अंबेडकर कहना फैशन बन गया है कहने के बाद कांग्रेस ने दलित समाज पर फोकस किया है। बिहार में प्रदेश अध्यक्ष दलित नेता राजेश कुमार को बनाया है।
CAG रिपोर्ट में इस बारे में क्या कहा गया है?
और सबसे जरूरी, इस मुद्दे का बिहार की राजनीति और दलित समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?तो, अगर आप बिहार की राजनीति, सामाजिक न्याय, और दलित समुदाय के मुद्दों में रुचि रखते हैं, तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें। और हां, अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आए, तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करना न भूलें। चलिए शुरू करते हैं!
राहुल गांधी का आरोप और क्या हुआ दरभंगा में?
दरअसल 15 मई को जब राहुल गांधी बिहार के दरभंगा पहुंचे थे । यहां उन्होंने शिक्षा न्याय संवाद नामक एक कैंपेन की शुरुआत की। यह कैंपेन कांग्रेस पार्टी की ओर से शुरू किया गया है, जिसका मकसद है शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना और खासकर OBC, EBC, SC, और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की समस्याओं को सुनना।
दरअसल दरभंगा में राहुल गांधी ने एक सरकारी अम्बेडकर वेलफेयर हॉस्टल में इन समुदायों के छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “SCSP फंड, जो दलितों के विकास के लिए बनाया गया है, वो दलितों तक नहीं पहुंच रहा है। देश के 90% लोगों को सत्ता में कोई हिस्सेदारी नहीं है। नौकरशाही से लेकर हाई कोर्ट, शिक्षा संस्थानों, और मेडिकल संस्थानों में दलितों और पिछड़ों का प्रतिनिधित्व शून्य है।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि MGNREGA जैसे कार्यक्रमों में दलित और पिछड़े समुदायों की भागीदारी तो है, लेकिन जो फंड उनके लिए बनाए गए हैं, वो उन तक नहीं पहुंच रहे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश की संपत्ति का बड़ा हिस्सा सिर्फ 5-10% लोगों के पास है, जबकि बाकी 90% आबादी, जिसमें दलित, OBC, EBC, और अल्पसंख्यक शामिल हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में दलित समुदाय की आबादी 19.65% है, जो एक बड़ा वोट बैंक है। राहुल गांधी का यह बयान आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर दिया गया लगता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आरोप सही है? और अगर सही है, तो फंड्स कहां जा रहे हैं? आइए, इसकी गहराई में जाएं।
क्या है? SCSP फंड
SCSP यानी Scheduled Caste Sub-Plan को समझना बहुत जरूरी है। यह एक केंद्र सरकार की स्कीम है, जो 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शुरू की थी। इसका मकसद है कि दलित समुदाय के विकास के लिए बजट में एक निश्चित हिस्सा अलग से रखा जाए। इस फंड का इस्तेमाल दलित बहुल इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर केंद्र या राज्य सरकार का कुल बजट 100 रुपये है, तो उसका एक निश्चित प्रतिशत, जो दलित आबादी के अनुपात में होता है, SCSP के तहत अलग रखा जाता है। बिहार में, जहां दलित आबादी 19.65% है, इसका मतलब है कि बजट का लगभग 19-20% हिस्सा दलितों के लिए होना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी का आरोप है कि यह पैसा दलितों तक नहीं पहुंच रहा। उन्होंने कहा कि SCSP फंड को अन्य कामों में डायवर्ट किया जा रहा है। तो, क्या यह सच है? इसके लिए हमें हाल ही की CAG रिपोर्ट को देखना होगा।
क्या है CAG रिपोर्ट और फंड डायवर्जन का सच
दोस्तों, CAG यानी Comptroller and Auditor General की एक हालिया रिपोर्ट ने बिहार सरकार की SCSP फंड के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं। 2023-24 की इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में SCSP के तहत कुल 16,939 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन इस फंड का इस्तेमाल कई ऐसे कामों में किया गया, जो सीधे तौर पर दलित समुदाय के विकास से जुड़े नहीं थे।
उदाहरण के लिए 1,447 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री स्थानीय क्षेत्र विकास योजना और बाढ़ नियंत्रण के लिए गए। 3,465 करोड़ रुपये मेडिकल कॉलेजों के निर्माण में खर्च हुए। 394 करोड़ रुपये सरकारी इमारतों के निर्माण के लिए इस्तेमाल हुए। 212 करोड़ रुपये सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा भवनों के लिए गए।
CAG ने यह नहीं कहा कि फंड का “डायवर्जन” हुआ, लेकिन इसने विभाग-वार आवंटन की जानकारी दी और सवाल उठाया कि क्या यह पैसा वास्तव में दलित समुदाय के लिए खर्च हुआ।
बिहार की NDA सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है। JD(U) के MLC नीरज कुमार ने कहा, “राज्य सरकार ने विधानसभा में इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया है। इसे राजनीतिक नहीं करना चाहिए।” एक वरिष्ठ IAS अधिकारी ने भी कहा कि SCSP फंड का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है, लेकिन यह केंद्र सरकार की अनुमति से होता है।
सवाल यह है कि अगर फंड का इस्तेमाल मेडिकल कॉलेज या सरकारी इमारतों के लिए हो रहा है, तो क्या यह दलित समुदाय को सीधा लाभ पहुंचा रहा है? राहुल गांधी का कहना है कि ऐसा नहीं हो रहा।
क्या पड़ेगा बिहार की राजनीति पर प्रभाव
दोस्तों, यह मुद्दा सिर्फ फंड का नहीं है, बल्कि बिहार की राजनीति का भी है। बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। दलित समुदाय, जो 19.65% आबादी है, एक बड़ा वोट बैंक है। इसके अलावा, EBC (36.1%) और OBC समुदाय भी महत्वपूर्ण हैं। राहुल गांधी इस मुद्दे को उठाकर इन समुदायों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस ने हाल ही में बिहार में अपनी रणनीति बदली है। उन्होंने बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष को बदलकर दलित नेता राजेश कुमार को नियुक्त किया है। इसके अलावा, राहुल गांधी हर महीने बिहार का दौरा कर रहे हैं। वे संविधान बचाओ और शिक्षा न्याय संवाद जैसे कार्यक्रमों के जरिए दलित, OBC, और EBC समुदायों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन NDA, जिसमें BJP और JD(U) शामिल हैं, इसे एक राजनीतिक स्टंट बता रही है। उनका कहना है कि SCSP फंड का इस्तेमाल नियमों के तहत हो रहा है और राहुल गांधी इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। इसके अलावा, मार्च में बिहार विधानसभा में 9 विधायकों, जिसमें CPI(ML)(L) के सत्यदेव राम शामिल थे, ने SCSP फंड के दुरुपयोग पर सवाल उठाए थे। इससे साफ है कि यह मुद्दा सिर्फ कांग्रेस का नहीं, बल्कि अन्य विपक्षी दलों का भी है।
दलित समुदाय और उसका भविष्य
इस पूरे मुद्दे का सबसे बड़ा सवाल यह है कि दलित समुदाय को इसका क्या लाभ मिलेगा? अगर SCSP फंड वास्तव में दलितों तक नहीं पहुंच रहा, तो यह एक गंभीर चूक है। दलित समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के बेहतर अवसर चाहिए। अगर फंड का इस्तेमाल मेडिकल कॉलेज या इमारतों के लिए हो रहा है, तो यह सुनिश्चित करना होगा कि इनका लाभ दलित समुदाय को भी मिले। राहुल गांधी का यह भी कहना है कि दलितों और पिछड़ों का देश की सत्ता और संस्थानों में प्रतिनिधित्व बहुत कम है। वे चाहते हैं कि एक देशव्यापी जाति जनगणना हो, ताकि यह पता चल सके कि किस समुदाय की कितनी हिस्सेदारी है। लेकिन दूसरी तरफ, NDA का कहना है कि वे दलितों के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, जैसे पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप और RTE एक्ट। हालांकि, कांग्रेस का आरोप है कि इन योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं हो रहा।
दोस्तों, राहुल गांधी का SCSP फंड पर आरोप बिहार की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यह सिर्फ फंड के दुरुपयोग का सवाल नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय और दलित समुदाय के अधिकारों का भी सवाल है। CAG रिपोर्ट ने कुछ सवाल जरूर उठाए हैं, लेकिन NDA का कहना है कि सब कुछ नियमों के तहत हो रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा कितना असर डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन एक बात साफ है – दलित समुदाय की बेहतरी के लिए फंड का सही इस्तेमाल और पारदर्शिता बहुत जरूरी है।
आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि राहुल गांधी का आरोप सही है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया, तो लाइक करें, अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें। हम आपके लिए ऐसे ही महत्वपूर्ण और जानकारीपूर्ण वीडियो लाते रहेंगे। धन्यवाद, और फिर मिलते हैं अगले वीडियो में!