Protest Against Pakistan : पाकिस्तान सेना के खिलाफ बगावत, लग रहे आजादी, सेना जो बैक, कश्मीर में कत्लेआम बंद करो के नारे
Protest Against Pakistan : पीओके में जिस तरह से पाकिस्तान के खिलाफ हुई बगावत ने गति पकड़ी है, जिस तरह से वहां पर आजादी के नारे लग रहे हैं, जिस तरह से Protest Against Pakistan करते हुए सेना वापस जाओ के नारे लगाये जा रहे हैं, जिस तरह से कश्मीर में कत्लेआम बंद करने की मांग उठ रही है। इन सब बातों को देखकर कहा जा सकता है कि अब पीओके के लोगों को पाकिस्तान ज्यादा दिन तक डरा-धमका कर नहीं रख सकता है। इस क्षेत्र को आजाद करना ही होगा। वैसे भी भारत पीओके को भारत में मिलाने के लिए तैयार बैठा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई बार पीओके भी भारत में मिलने की बात कर चुके हैं।
Also Read : पूर्व सैनिक है जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे का हमलावर!
दरअसल पीओके में लोग आजादी के लिए फिर से सड़कों पर उतरे हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोग गिरफ्तारियों के विरोद में प्रदर्शन कर रहे हैं। Demand for Freedom करते हुए लोग लोड शेडिंग, महंगाई और जमीन को खनन के लिए विदेशी कंपनी को लीज पर देने का विरोध भी कर रहे हैं।
यहां क्लिक कर आप हमारे YouTube Channel पर जा सकते है
लोगों ने सड़कों पर उतरकर आजादी की मांग की है। Pakistani Army Go Back, वापस जाओ के नारों से क्षेत्र गूंज रहा है। Demand for freedom और कश्मीर में कत्लेआम बंद करो के नारे लग रहे हैं। एक अखबार के अनुसार पीओके में पाकिस्तान का विरोध अब आम बाद हो गई है। कई संस्थानों के समर्थन में गिलगिट, स्कार्दू और कुछ अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
लोगों में कई चीजों को लेकर असंतोष सामने आ रहा है। एक ट्वीटर अकाउंट ने वीडियो शेयर करते हुए कहा कि लोग Pakistani Army Go Back, हम आजादी चाहते हैं और कश्मीर में हत्या बंद करो के नारे लगा रहे हैं। सड़क के बीच की यूएन की गाड़ी रोकी गई है। प्रदर्शन कर रहे लोग कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ हैं, जिनमें लोड शेडिंग, महंगाई और जमीन को खनन के लिए विदेशी कंपनी को लीज पर देना भी है। लेकिन इसके साथ ही लोग इमामिया समुदाय के लोगों की गिरफ्तारियों को लेकर भी नाराज हैं।
दरअसल सरकार ने गिरफ्तार लोगों को जल्द रिहा करने की बात कही थी। Protest Against Pakistan के तहत 13 अक्टूबर 2005 में हुई 13 नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा के लिए गिलगिट में हाल ही में प्रदर्शन हुए। 2009 में एक सैन्य अदालत ने इन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सोमवार को जाफरिया समुदाय के प्रमुख आगा राहत हुसैन अल हुसैन ने उम्रकैद की सजा पाने वाले 13 युवकों की रिहाई पर चिंता जाहिर की थी। गत छह दिनों में जाफरिया समुदाय की महिलाओं और बच्चों का प्रदर्शन जारी है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक अंजुमन-ए-इस्लामिया ने भी इस मुद्दे का विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि दो महीने पहले सरकार ने उनकी रिहाई का वादा किया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।