एमएसपी की ग्यारंटी औरकेंद्रीय ग्रृह राज्य मंत्री को हटाने की घोषणा भी करें प्रधानमंत्री
भोपाल। तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस करने की प्रधानमंत्री की घोषणा आजादी के बाद के सबसे बड़े और शांतिपूर्ण ऐतिहासिक आंदोलन की जीत है, जिसे सरकार और सरकार के पीछे खड़े संगठनों और राजनीतिक तत्वों ने खालिस्तानी, पाकिस्तानी, पृथकतावादी, नक्सलवादी कह कर बदनाम किया था। इस जीत का श्रेय किसानों और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चे को जाता है।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया मध्य प्रदेश के अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री एवं दिनेश सिंह कुशवाहा ने उक्त जीत के लिए किसानों को बधाई देते हुए कहा है कि सरकार ने खुद ही दावा किया है कि इस आंदोलन से सिर्फ दिल्ली को ही प्रतिदिन 3500 करोड़ का नुकसान हो रहा था। जाहिर है कि यदि सरकार पहले दिन ही किसानों की मांग को मान लेती तो 359 दिनों तक चले आंदोलन से होने वाले 12 लाख 56 हजार,500 करोड़ रुपए के नुकसान से बचा जा सकता था। यह सिर्फ दिल्ली के कारोबार का नुकसान है, इससे देश भर में हुए नुकसान की कल्पना की जा सकती है।आपने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है तथा जिन किसानों के लिए सरकार ने कानून बनाने का दावा किया था, वे किसान 357 दिन से विरोध कर रहे थे। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा।
नेता द्वय ने कहा कि अडानी – अंबानी को यह समझ लेना चाहिए कि देश उनकी बपौती नहीं है तथा कोई भी सरकार देश को पूंजीपतियों को सौंपने की हैसियत नहीं रखती है। प्रधानमंत्री को तत्काल लखीमपुर खीरी हत्याकांड के जिम्मेदार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने के साथ-साथ हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को तत्काल बदलकर यह बतलाना चाहिए कि वह किसानों पर अत्याचार करने वाले मुख्यमंत्रियों का साथ नहीं देंगे।
श्री मंत्री और कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री को शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने, उनके परिवार के आश्रितों को एक करोड़़ रूपये की आर्थिक सहायता देने तथा दिवंगत किसानों का दिल्ली में स्मारक बनाने की घोषणा करनी चाहिए।
आपने कहा कि देश की जनता ने जिस तरह से इमरजेंसी का विरोध कर इंदिरा गांधी का विरोध किया था, उसी तरह नरेंद्र मोदी को तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने को मजबूर कर यह साबित कर दिया है कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत है तथा भारत में लोकतंत्र को कोई खत्म नहीं कर सकता।
आपने कहा है कि सरकार की हठधर्मिता से सिर्फ राष्ट्र को आर्थिक क्षति ही नहीं हुई है, बल्कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 से अधिक किसानों और लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे द्वारा कुचल दिए गए किसानों की मौत भी इसी हठधर्मिता का परिणाम है। यदि सरकार अपनी कारपोरेटपरस्ती को छोडक़र किसानो के साथ संवाद कर तभी इन कानूनो को वापस ले लेती तो इन घरों के चिरागों को भी बुझने से बचाया जा सकता था।
श्री मंत्री एवं कुशवाहा ने कानून वापसी को सरकार की हठधर्मिता की हार बताते हुए कहा है कि संसद में बिना बहस के पारित कराये गए इन कानूनों को वापस लेने का अधिकार भी संसद को है। सरकार को संसद में इन कानूनों को वापस लेना चाहिए और किसानों की बुनियादी मांग एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाने और किसान व जनविरोधी बिजली बिल को वापस लेने की भी घोषणा करनी चाहिए।