व्यंग्य : आलू का पत्र राष्ट्रपति के नाम

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डॉ.स. मिश्रा मागधी

राष्ट्रपति महोदया,
आपको,मुझ आलू का कोटि-कोटि प्रणाम।
महोदया, हमारा पत्र देख अचंभित मत होइए। एक हम ही दुखियारे नहीं हैं इस देश में, हमारे साथ खेत और एटीएम मशीन भी बहुत दुखी है। जाने कितने वर्ष बीत गए, एक होनहार नेता ने खेतों को कीचड़ से बचाने के लिए उसे पक्के फर्श में बदलने का वादा किया था, साथ ही बारिश से बचने के लिए उसपर छत डलवाने की भी कसमें खाई थी। मैं आलू, मुझे भी मशीन में डाल सोना में तब्दील करने का लालच दिया गया था।आज तक मैं सोना न बन पाया। हाँ, आलू से सोने की लालसा में लोगों ने मेरा भाव यानी दाम जरूर बढ़ा दिया। खेत भी रो रहा है, न उसका फर्श बना, न ही ऊपर छत बनी। छत छोड़िए, फूस का छप्पर भी नहीं डाला गया।खटाखट एटीएम मशीन अपना मुँह छुपाए फिर रही है। उसके साथ भी भेद-भाव किया गया है। वह कहती है, “न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी” न उसमें पैसे डाले जाएंगे न वह खटाखट पैसे दे पाएगी।’
उसी ज्ञानवान महापुरुष ने जब से जलेबी की फैक्ट्री खोलने की बात की है, तब से गुलाबजामुन, छेने का रसगुल्ला, मिल्ककेक, मैसूरपाक, पेड़ा, बर्फी, समोसा, कचौड़ी आदि में अपने-अपने अस्तित्व को लेकर हड़कंप मच गया है। हम समोसे कचौड़ी नाराज हैं कि हमारी खपत सबसे ज्यादा है फिर हमारी फैक्ट्री का निर्माण अभी तक क्यों नहीं किया गया…?मिल्ककेक का कहना है, ‘हम अल्पसंख्यक हैं। छेने की बर्फी से हमारे आका ने हमें मिल्ककेक में बदल दिया था। अत: हमारा निर्माण बाद में हुआ है। इसलिए हमारी फैक्ट्री तामझाम के साथ सबसे बड़ी और देश के हर कोने में खुलनी चाहिए। पेड़ा, बर्फी,गुलाबजामुन आदि उच्य कोटि के हैं, इनको कभी भी बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।’
इडली डोसा भी हमसे नाखुश है। उसका कहना है, ‘उत्तर दिशा से आकर समोसा, कचौड़ी ने दक्षिण में अपना प्रभाव जमा लिया है।’ हम इडली, डोसा से ईर्ष्या नहीं पालते। उसने भी तो पूरे देश, देश क्या पूरे संसार में लाइट फुड के गुण से अपना नाम दर्ज करा लिया है। मेरा मानना है सबका साथ, सबका विकास। गुणों के आधार पर महत्व मिलना चाहिए, न कि भेड़िया धसान।
महोदया, आपसे निवेदन है, होनहार, ज्ञानवान महोदय को उनके वादे याद दिलाइए।याद रखिए, अगर जलेबी की फैक्ट्री खुली और हम सब की सुध न ली गई तो हम धरने पर बैठ जाएंगे।यही नहीं, विदेशों में जाकर अपने देश की बुराई भी खुलकर करेंगे। क्योंकि, देश के खिलाफ बोलने पर कभी देशद्रोही का ठप्पा नहीं लगता। किसी ने मुझ पर उंगली उठाई तो आधी रात में हाईकोर्ट क्या, सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खुलवा लेंगे।
आपके आदेश की प्रतीक्षा में
आलू।

 

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