मैदानी एवं तराई के अधिकतर स्थानों पर मध्यम से भारी वर्षा होने की संभावना

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दूधारू पशुओं को हरे चारे के साथ-साथ सूखा चारा भी खिलाने की जरूरत

सुभाषचंद्र कुमार

समस्तीपुर । डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 06-10 जुलाई, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले 24-48 घंटों तक मानसून के अधिक सक्रिय रहने की सम्भावना है। इसके प्रभाव से 7 जुलाई के सुबह तक मैदानी एवं तराई के अधिकतर स्थानों पर मध्यम से भारी वर्षा हो सकती है।

इस दौरान आसमान में मध्यम से घने बादल देखें जा सकते है। 7 जुलाई के दोपहर के बाद हल्की हल्की वर्षा की सम्भावना बनी रहेगी। गोपालगंज, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चम्पारण तथा पश्चिमी चम्पारण जिलों में 7 जुलाई के सुबह तक भारी वर्षा हो सकती है।

इस अवधि में अधिकतम तापमान 29-32 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। शुक्रवार के तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमानः 30.0 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 3.2 डिग्री सेल्सियस कम
एवं न्यूनतम तापमानः 25.5 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस कम रहा है।

सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 90 से 95 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 65 प्रतिशत रहने की संभावना है।

पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 15 से 20 कि0मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पूरवा हवा चलने का अनुमान है।

समसमायिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने किसानों से बताया कि पिछले दिनों में उत्तर बिहार के जिलों में वर्षा हुई है। वर्षा जल का लाभ उठाते हुए जिन किसानों के पास धान का विचड़ा तैयार हो वे नीची तथा मध्यम जमीन में रोपनी करें। धान की रोपाई के समय उर्वरकों का व्यवहार सदैव मिट्टी जाँच के आधार पर करें।

यदि मिट्टी जाँच नहीं कराया गया हो तो मध्यम एवं लम्बी अवधि की किस्मों के लिए 30 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोगाम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्गाम प्रति हेक्टर चिलेटेड जिंक का व्यवहार करें। जिन क्षेत्रों में हल्की वर्षा हुई है, वहाँ ऊचॉस जमीन में सुर्यमुखी की बुआई के लिए मौसम अनुकूल है।

मोरडेन, सुर्या, सी०ओ०-1 एवं पैराडेविक सुर्यमुखी की उन्नत संकुल प्रभेद है जबकि के० बी०एस०एच०-1, के० बी०एस०एच०-44 सुर्यमुखी की संकर प्रभेद है। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 100 किवन्टल कम्पोस्ट, 30-40 किलो नेत्रजन, 80-90 किलो स्फुर एवं 40 किलो पोटाश का व्यवहार करें। बुआई के समय किसान 30-40 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार कर सकते है।

संकर किस्मों के लिए बीज दर 5 किलोग्राम तथा संकुल के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रखें। उचास जमीन में अरहर की बुआई करें। उपरी जमीन में बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फुर. 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें। बहार, पूसा 9, नरेद्र अरहर 1. मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर 1 आदि किस्में बुआई के लिए अनुशसित है। बीज दर 18-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें।

बुआई के 24 घंटे पूर्व 2.5 ग्राम धीरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करे। बुआई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करनी चाहिए।

जो किसान भाई खरीफ प्याज का बिचड़ा अब तक नहीं गिराये हों, उथली क्यारिओं में यथाशीघ्र नर्सरी गिरावें। नर्सरी में जल निकास की व्यवस्था रखें। एन0-53, एग्रीफाउण्ड डीक रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर खरीफ प्याज के लिए अनुशंसित किस्में है। बीज को कैप्टान या थीरम/2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार कर लें।

पौधशाला को तेज धूप एवं वर्षा से बचाने के लिए 40% छायादार नेट से 6-7 फीट की ऊचाई पर ढ़क सकते है। प्याज के स्वस्थ पौध के लिए पौधशाला से नियमित रूप से खरपतवार को निकालते रहें। कीट-व्याधियों से नर्सरी की निगरानी करते रहें।

उचॉस जमीन में बरसाती सब्जियों जैसे भिंडी, लौकी, नेनुआ, करैला, खीरा की बुआई करें। गरमा सब्जियों की फसल में कीट-व्याधियों की निगरानी करते रहें।

आम का बाग लगाने का यह समय अनुकुल चल रहा है। किसान भाई अपने पसंद के अनुसार अलग-अलग समय में पकने वाली किस्मों का चयन कर सकते हैं। मई के अन्त से जून माह में पकने वाली किस्में मिठुआ, गुलाबखास, बम्बई, एलफॉन्जों, जड़दालू, जून माह में पकने वाली किस्में लंगड़ा (मालदह), हेमसागर, कृष्णभोग, अमन दशहरी, जुलाई माह में पकने वाली किस्में फजली, सुकुल, सिपिया, तैमूरिया, अगस्त में पकने वाली किस्में समरबहिष्त, चौसा, कतिकी है। आम के संकर किस्मों के लिए महमूद बहार, प्रभाशंकर, अम्रपाली, मल्लिका, मंजीरा, मेनिका, सुन्दर लंगडा, राजेंद्र आम-1, रत्ना, सबरी, जवाहर, सिंधु, अर्का, अरुण, मेनका, अलफजली, पूसा अरुणिमा आदि अनुशंसित है।

कलमी आम के लिए पौधा से पौधा की दूरी 10 मीटर, बीजु के लिए 12 मीटर रखें। आम्रपाली किस्म की सघन बागवानी हेतु पौधों को 2.5X25 मीटर की दूरी पर लगा सकतें हैं। पहले से तैयाार गढ़ों में फलदार एवं वानिकी पौधों को लगाने का कार्य करें। पौधों को दीमक तथा सफेद लट कीट से बचाव हेतु 5 मि०ली० क्लोरपाइरीफॉस दवा 1 ली० पानी में मिलाकर पौधा लगाने के बाद गढ़े में दे।

किसान भाई गौशाला में रात के समय नीम की पत्तियों का धुआं करें ताकि मच्छर तथा मक्खियों के प्रवेश पर नियंत्रण हो सके। पशुओ के निवास स्थान की साफ-सफाई करते रहे। दूधारू पशुओं को हरे चारे के साथ-साथ सूखा चारा (50:50) के अनुपात में खिलायें तथा 20-30 ग्राम खनिज मिश्रण व नमक प्रतिदिन दें।

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